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गरपोगमत्रे
लियमय कच्छय पग्गाहय पयत्तेणं धूवं दाऊण जिणवराणं अः सविसुद्धगथजुत्तेहि अत्थजुत्तेहिं अपुणगतेहिं महाविलेहि सथुणइ, संथुणिता सत्तटु पयाई पच्चोसकइ, पच्चोसवित्ता वाम जाणु अंचेइ, अंचिता दाहिणं जार धरणितलंसि निहहु तिक्खुत्तो मुद्धाणं धरणितलंसि निवाडेइ, निवाडिला इसिं पाणमइ,पच्चुण्णांमत्ता करयल परिग्गहिय सिरसावत्त मत्थए अंजलि कटु एवं वयासी ॥सू० ९२॥
छाया-तराःखलु तं सूर्याभ देव चतश्च मामानिकमाइयो योवत् पोडश आत्मरक्ष देवसाहस्यः अन्ये च बहवः मूर्याभविमानवासिनो देवाश्च देवश्च अप्येकके देवा उत्पलहस्तगता यावत् शतसहस्रपत्र हस्तगताः मर्याभ देव पृष्ठतः पृष्ठतः समनुगच्छन्ति । ततः खलु त सूर्याभ देव
'तएणं त स्तूरियाभं देवं' इत्यादि । ___ मन्त्रार्थ-(तएणं) इसके बाद (न मरियाभं देवं) उस मूर्याभदेव के (पिठोर लमणुगच्छति) पीछे २ चले। कौन चले १ इसके लिये कहा गया है कि-(चत्तारिय सामाणियसाहस्पीओ, जात्र सोलसआयरक्ख देवसाह. स्लीओ) चार हजार सामानिक देव, यावत् सोलह हजार आत्मरक्षक देव तथा-(अन्ने य वह मृरियाभविमाणवासिणो देवा य देवीओ य) अन्य और वहत से उस सूर्याभविमान के रहनेवाले देव और देवियां. इनमें (अप्पे. गइया देवा उपलहाथगया, जाव सयसहस्त्पत्तहत्थगया) कितनेक उत्पल हैं हाथों में जिन्हों के ऐसे थे. और यारत बितनेक देव ऐसे थे कि जिन्होंने हाथों में शतसहस्रदलवाले कमल ले रहे थे. इस प्रकार से ये
_ 'लएण त सरियाम देव" इत्यादि। . सुत्रार्थ-(तएण) त्यारे पछी (त सरियाम देव) ते सुलिवनी (पिट्ठओ २ समणुगच्छति) पा७ पाछ घl a यादया. ते ए ता? येना भाटे मही स्पष्टी३२९ ४२पामा मा छ ३ (चत्तारिय सामाणियसाहस्सीओ. जाव सोलस आयरक्खदेवसाहस्सीओ ) १२ साभानि । यावत् सोग १२ मात्मरक्ष हेवे। तथा (अन्ने य यहवे: मुरियाभविमाणवामिणो देवा य देवीओय) भी पy i ते सूर्याभवना विमानमा २नाशं विवीमा हतi. माभांथी -(अप्पेगइवा देवा उप्पलहत्यगया, जाच सयसहस्सपत्तहत्थगया) કેટલાકના હાથમાં ઉત્પલે હતાં અને યાવતુ કેટલાક દે એવા પણ હતા કે તેમના