________________
१.२
राजप्रश्नीयमूत्रो बायककुसुममिति वा पीताशोक इति वा पीनकरवीरहाते वा पोनयन्धुनाव इति वा भवेद् एतद्रपः स्यात् ? नो अयमर्थः समर्थः, ते खलु द्रनिद्रा मगयः इत इष्टतरका एव यावद वर्णन प्रज्ञप्ताः। ___तत्र खलु ये ते शुक्ला मणयः तेशं वलु मणीनाम् अयमेद्रपो वर्णावासः प्रज्ञप्तः स यथानामकः अङ्क इनि वा शङ्ख इति वा चन्द्र इति वा दन्त इति वा कुमुदोदकोदकरजोदधिधनगोक्षोरपूरइति वा हसावलोति वा कोर के पुष्पों की माला होती है, (बीयगकुसुमेह वा) बीजक का कुसुम हाता है, (पीयामोगेइ वा) पीतवर्ण का अशोकटक्ष होता है (पीयकणवीरेई वा) पीतवणे का कनेर वृक्ष होता है, (पीयपंधुजीवेइ वा) पीतवर्ण का बन्धुजोव होता है, (भवे यारू मिया)सा हो उन पीतवर्णवाले मणियों का होता है। परन्तु ऐसा ही वर्ण-पीतवर्ण-उन मणियों का होता है ? (णो इणढे समझे) सो बात नहीं है-किन्तु (नेणं हालिदा मणी एत्तो इतराएचेव जाव वण्णेणं पण्णत्ता) वे पीतवर्ण मणि इन सत्र से भी इटतरक ही यावत् वर्ण को लेकर कहे गये हैं। अर्थात् इनसे भी अधिक पीले रंग के मणों है।
(तत्थ णं जे ते सुकिल्ला मणी ते िणं मणीणं इमे एयारूवे वण्णावामे पणतो) उन मणियों में जो शकमणि (सफेदमणी) हैं-सो उन शुलमणियों का वर्णावाम इम पकार से कहा गया है-(से जहानामए अंकेइ वा, संखेइ वा, चदेइ ला, कुंदेह वा, दतेइ वा) जैसा अङ्क-रत्नविशेष-शुक हाता है शंग्व शुभ होता है, चन्द्रमा शुक होता है, कुन्दपुष्प सफेद होता है दन्त सफेद होता है (बीयगकुसुमेह वा) old पु०५ डाय छ, (पायासोगेइ वा) ॥ गर्नु मा वृक्ष डाय छ, (पीयकणवीरेइ वा पी॥ २॥ वाणा पु०पर्नु अने२ वृक्ष डाय छ, (पीयपंधुजीवेइ वा) पास गर्नु ल य छ, (भवे एयारुवेमिया) એ જ રંગ તે પીળા રંગવાળા મણિઓને હોય છે? તે મણિઓને વર્ણ–પીતવર્ણ -येवो डाय छ १ (णो इणद्वे सम?) पात योग्य नथी. ५ (नेग हालिदा मणी एत्तो इत्तराए चेव जाव चणेणं पण्णता) ते पीस २ मणिमा આ બધા કરતાં પણ વધારે ઈષ્ટ તરક જ યાવત વર્ણની અપેક્ષાએ કહેવામાં આવ્યા છે. એટલે કે આ બધા પદાર્થો કરતાં પણ વધારે પીળા રંગના તે મણિઓ હોય છે.
(तत्थ णं जे ते सुश्किल्ला मणी तेसिंणं मणीण इमे एयाख्वे वण्णावासे पण्णत्ते) ते भागमा शुस भए (सह मणि) छ, २ मणिमान - पास वर्णन या प्रमाण वामन माव्या छ. (से जहानामए अकेह वा संखेइ वा चंदेइ वा, कुदेह वा, दंतेइ वा) प्रभारी म४-२त्न-विशेष सह डाय