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________________ -७४८ अंशापनासूचे 'कमनुष्याहारकशरीरम् ? गौतम ! सम्यग्दृष्टि पर्याप्तकसंख्येयवर्षायुष्कर्मभूमिगगर्मव्युत्क्रान्तिफमनुष्याहारकशरीरम्, नो मिथ्यादृष्टि पर्याप्तकसंख्येयवर्षायुष्कर्मभूमिगगर्भव्युत्क्रान्तिकमनुष्याहारकशरीरम्, नो सम्यमिथ्यादृष्टि पर्याप्त कसंख्वेयर्पायुष्कर्मभूमगगर्भव्युत्कान्तिकमनुष्याहारकशरीरम्, यदि सम्यग्दृष्टि पर्याप्तकसंख्येयवर्घायुष्करमभूमिगगर्भव्युत्क्रान्तिकमनुष्याहारकशरीरम् किं संयतसम्यग्दृष्टि पर्याप्तकसंख्येयवर्षायुष्कर्मभूमिगगर्भव्युत्क्रान्तिकमनुष्य का आहारकशरीर होता है या सम्यगूमिथ्यादृष्टि पर्याप्त संख्यात वर्ष की आयु वाले कर्मभूमि के गर्भज मनुष्य का आहारकशरीर होता है ? (गोयमा! सम्मट्ठिीपज्जत्तगसंखेज्जवासाउय कम्मभूमग गम्भवतिय मणूस आहारगसरीरे) हे गौतम ! सम्यग्दृष्टि पर्याप्त संख्यात वर्ष की आयु वाले कर्मभूमि के गर्भज मनुष्य का आहारकशरीर होता है (नो मिच्छादिट्ठीपज्जत्तगसंखेनवासाउय कम्मभूमगगन्भवतिय मणूस आहारगसरीरे) मिथ्यादृष्टि पर्याप्त संख्यात वर्ष की आयु वाले कर्मभूमि के गर्भज मनुष्य का आहारकशरीर नहीं होता (नो सम्मामिच्छदिट्ठीपज्जत्तगसंखेजवासाउय कम्मभूमगगम्भवक्कंतियमणूस आहारगसरीरे) सम्यग्मियादृष्टि पर्याप्त संख्यात वर्ष की आयु वाले कर्मभूमिज गर्भज मनुष्य का आहारकशरीर नहीं होता (जइ सम्मदिट्ठी पज्जत्तगसंखेज्जवासउयकम्मभूमग गन्भवतिय मणूस आहारग सरीरे किं संजयसम्मदिट्टीपजत्तगसंखेनवासाउय कम्मभूमग गन्भवतिय मणूस आहारगसरीरे ?) यदि सम्यग्दृष्टि पर्याप्त संख्यात वर्ष की आयु वाले कर्मभूमि के गर्भज मनुष्य का आहारकशरीर होता है तो क्या संयत सम्यग्दृष्टि पर्याप्त संख्यात वर्ष की आयु पाले શ્રષ્ટિ પર્યાપ્ત સંખ્યાત વર્ષની આયુવાળ કર્મભૂમિના ગર્ભજ મનુષ્યના આહારકશરીર હોય છે, અથવા મિથ્યાદષ્ટિ પર્યાપ્ત સંખ્યાત વર્ષની આયુવાળા કર્મભૂમિના ગર્ભજ મનુષ્યના આહારકશરીર હોય છે, અગર સમ્યમિથ્યા દષ્ટિ પર્યાપ્ત સંખ્યાત વર્ષની આયુવાળા કર્મભૂમિના ગર્ભજ મનુષ્યનાં આહારકશરીર હોય છે ? (गोयमा! सम्महिट्ठी पज्जत्तगसंखेन्जवासाउय कम्मभूमग गम्भवक्कंतिय मणूस आहारगसरीरे) गौतम ! सभ्यGिट पर्याप्त सभ्यात पनी सायुवामा भभूमिना on मनुष्याना मा २४शरीर डाय छे (नो मिच्छादिवी पज्जत्तग संखेज्जवासाउय कम्मभूमग गम्भवक्कंतिय मणूस आहारगशरीरे) भिथ्याट पयति सभ्यात पनी मायुवा ४भभूमिका TRI मनुष्यना मा २४शरीर नथी हाता (नो सम्मामिच्छदिवी पज्जत्तग सखे. ज्जवासाउय कम्मभूमग गम्भवक्कंतिय मणूस आहारगसरीरे) सभ्यभिभ्याट यात સંખ્યાત વર્ષની આયુવાળા કર્મભૂમિના ગેભજ મનુષ્યના આહારકશરીર નથી લેતાં (जइ सम्मदिट्ठी पज्जत्तग संखेज्जावासाउय कम्मभूमग गम्भवक्कंतिय मणरस आहारगसरीरे क संजयसम्मदिट्ठी पज्जत्तग सखेज्जवासाउय कम्मभूमग गभक्कंतिय मणुस थाहा रगसरीरे) ने सभ्यष्टि पर्याप्त भ्यात वर्षनी भायुवामा भभूमिन At
SR No.009341
Book TitlePragnapanasutram Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1978
Total Pages841
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size62 MB
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