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________________ ९६ - সঙ্গাপাধু बहुझा वा तुल्या वा विशेषाधिका वा ? गौतम ! सर्वस्तोकाः गर्भव्युत्क्रान्तिक पञ्चेन्द्रियतिर्यग्योनिकाः शुक्ललेश्याः, पसलेश्याः संख्येय गुणाः, तेजोलेश्याः संख्येयगुणाः, कापोतलेश्याः संख्येय गुणाः, नीललेश्या विशेषाधिकाः, कृष्ण लेश्या विशेषाधिकाः, कापोतलेश्याः संमृच्छिमपञ्चन्द्रियतिर्यस्पोनिका असंख्येयगुणाः, नोलले श्या विशेषाधिकाः, कृष्णटेश्या विशेषाधिकाः, एतेषां खलु भदन्त ! संमूच्छियपञ्चेन्द्रियतिर्यज्योनिकाना तिर्यग्योनिकीनाञ्च कृष्णलेश्या यावत् शुक्ललेगानाञ्च कतरे कतरेभ्योऽल्पा वा, बहुका वा, तुल्या वा, वा विसेलाहिया वा ?) कौन किमसे अल्प, बहुत, तुल्य, या विशेषाधिक हैं ? (गोयमा ! सम्वत्थोचा गभवलियपंचिंदियतिरिक्खजोणिया स्लुक्कलेस्सा) सय से कल गर्भजपचेन्द्रियतिथंच शुक्ललेश्या वाले हैं (पम्हलेस्सा संखेज्जगुणा) पद्म लेश्या वाले उनसे संख्यातगुणा अधिक हैं (तेउलेस्सा संखेज्जगुणा) तेजोलेश्या वाले संख्यातगुणा हैं (काउलेस्सा संखेज्जगुणा) कापोतलेश्या बाले संख्यातगुणा है। (नीललेस्सा विसेसाहिया) नीललेश्या गले विशेषाधिक हैं (कण्हलेस्सा विलेसाहिया) कृष्णलेच्या वाले विशेषाधिक हैं। (काउलेस्ला संमुच्छिम पंचेंदियलिरिवखजोणिया असंखेजगुणा) कापोतलेश्या वाले संमूर्छिम पंचेन्द्रियतिर्यंच असंख्यातगुणा अधिक हैं (नीललेस्सा विसेलाहिया) नीललेश्या वाले विशेषाधिक हैं (कण्हलेस्सा रिलेसाहिया) कृष्णलेश्या वाले विशेषाधिक हैं। ___ (एएसि णं भंते ! संमुच्छिम पंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं तिरिक्खजोणिणीण य) हे भगवन् ! इन संमूर्छिन पंचेन्द्रियलियचों में और तिर्यचनियों में (कण्हलेस्साणं जाव सुकलेस्लाण य) कृष्णलेश्या वालों या पद शुक्ललेश्या वालों (कयरे कयरेहिनो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ?) नाथी ५८५, ઘણા, તુલ્ય અથવા વિશેષાધિક છે? (गोयमा ! सव्वत्थोवा गम्भवक्कतिय पचे दियतिरिक्खजोणिया सुक्लेस्सा) ४ थी छ। । ५२न्द्रिय तिर्यय शुस २०११मा छ (पम्हलेसा संखेज्जगुणा) पदमरवा सभ्य तरा। मधिर छ (तेउलेस्सा संखेज्जगुणा ) वेश्यावा. सध्यातगए। छ काउलेस्सा संखेनगुणा) पे तोश्याचा सध्यातरा छ (नललेस्सा विसेसाहिया) नालाqा विशेषाधि छ (कण्हलेस्सा विसेसाहिया) श्वेश्या विशेषाधि४ छ (काउलेस्सा संमुच्छिमपंचे दियतिरिक्खजोगिया अखेज्जगुणा) पातोश्यावाणा मभूमि ५ येन्द्रिय यि ५ असार २५धि 2 (नीललेस्सा विसेसाहिया) नासोश्या विशेष (48 छे (कण्हलेस्सा विसेसाहिया) सश्या विशेष धि४ छ. (एएसि णं भंते ! समुच्छिमपंचे दियतिरिक्खजोणियाणं तिरिक्खजोणिणीणं य) 3 सावन् ! 20 स भूमि ५यन्द्रिय तिय योमा भने तिय यानयोभा (कण्हलेस्साणं जाव सुकलेस्साण य) वेश्या. यावत् शुसवेश्यामा (कयरे कयरे हितो अपा वा बद्दया
SR No.009341
Book TitlePragnapanasutram Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1978
Total Pages841
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size62 MB
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