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प्रवचनो टोका ११ सू० ३ नैरयिकादीन्द्रियनिरूपणम्
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कक्खडगरुयगुणाणं सउयल हुयगुणाण कक्खड गुरुयगुण मउयल हुयगुणाण य कयरे करेहिंतो अप्पा वा, बहुया वा, तुल्ला वा, विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवा वेइंदियाणं जिविसदियस्स कक्खडगरुयगुणा, फासिंदियस्त कक्खडगरुयगुणा अनंतगुणा, फासिंदियस्स कक्खडगरुय गुणेहिंतो तस्स चेव मउयल हुयगुणा अनंतगुणा, जिडिंभदिवस मउय. लहुगुणा अनंतगुणा, एवं जाव चउरिंदियत्ति, नवरं इंदियपरिवुद्धी कार्यव्वा, तेइंदियागं घाणिंदिए थोवे, चउरिंदियाणं चक्खिदिए थोवें, सेतं तं चैव पंबिंदियतिरिकख जोणियाणं मणूसाण य जहा नेरइयाणं, वरं फार्सिदिए छन्हिठाणसंठिए पण्णत्ते, तं जहा - सपचउरंसे, निगोहपरिमंडले, सादी, खुज्जे, बामणे, हुंडे, दाणमंतरजोइसिए वेमाणियाणं जहा - असुरकुमाराणं ॥ सू० ३ ॥
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छाया - नैरयिकाणां भदन्त ! कति इन्द्रियाणि मज्ञप्तानि ? गौतम ! पञ्च इन्द्रियाणि प्रज्ञप्तानि तद्यथा - श्रोत्रेन्द्रियं यावत् - स्पर्शेन्द्रियम्, नैरयिकाणां भदन्त ! श्रोत्रेन्द्रिय कि संस्थितं प्रज्ञतम् ? गौतम ! कदम्ब संस्थानसंस्थितं प्रज्ञप्तम्, एवं यथा औधिकानां वक्तव्यता नैक आदि - इन्द्रियवक्तव्यता
शब्दार्थ - (नेरइया णं भंते ! कइ इंदिया पण्णत्ता ?) हे भगवन् ! नारकों की कितनी इन्द्रियां होती हैं ? (गोधमा ! पंच इंदिया पण्णत्ता) गौतम | पांच इन्द्रियां कही हैं ? (तं जहा- सोइंदिए जाव फार्सिदिए ) वे इस प्रकार - श्रोत्रेन्द्रिय यावत् स्पर्शनेन्द्रिय |
( desert भले ! सोइदिए किं संठिए पष्णते ?) हे भगवन् ! नारकों की श्रोत्रेन्द्रिय किस आकार की है ? (गोयमा ! कलंबुया संठाणसंठिए पण्णत्ते) गौतम ! area के पुष्प के आकार की है ( एवं जहा ओहियाणं वत्तन्वया નરયિક આદિ ઈન્દ્રિય વક્તવ્યતા
दार्थ - (नेरइयाणं भंते! कइ इंदिया पण्णत्ता ?) डे लगवन् ! नारअनी डेंटली इन्द्रियो होय हे ? (गोयमा ! पंच इंदिया पण्णत्ता) हे गौतम! यांय धन्द्रियो उही छे (तं जहा सोइंदिए जाव फार्सिदिए ) ते या अरे श्रोत्रेन्द्रिय यावत् स्पर्शनेन्द्रिय
(नेरयाणं भंते ! सोइदिए कि संठि पण्णत्ते १) हे भगवन् । नारानी श्रोत्रेन्द्रिय हैवा भारनी छे ? (गोयमा ! कलंबूयासंठाण संठिए पण्णत्ते) डे गौतम ! उम्ना पुण्यना