________________
५६४
प्रशापनासते तद्यथा-क्रोधेन मानेन मायया लोभेन, एवं नैरयिका यावद् वैमानिकाः जीवाः खलु भदन्त ! कतिभिः स्यानैरष्टकर्मप्रकृतीश्चेष्यन्ति ? गौतम ! चतुर्भिः स्थानैरष्टौ कर्मप्रकृतीश्वेष्यन्ति, तद्यथा-क्रोधेन, मानेन, मायया, लोभेन, एवं नैरयिका यावद् वैमानिकाः, जीवा, खलु भदन्त ! कतिभिः स्थानै रष्टी कर्मप्रकृतीरुपचितवन्तः १ गौतम ! चतुर्मिः स्थानै रष्टौ कर्म प्रकृतीरुपचितवन्तः, ? तद्यश-क्रोधेन, मानेन, मायया, लोभेन, एवं नैरयिका यावद् वैमानिकाः, जीवाः खलु भदन्त ! पृच्छा, गौतम ! चतुर्भिः स्थानरुपचिन्वन्ति, यावल्लोभेन,
जीवाणं भंते ! कतिहिं ठाणेहिं अट्ठकरमपडीओ चिणिस्संति ?) हे भगवन् ! जीव कितने कारणों से आठ कर्मप्रकृतियों का चय करेंगे ? (गोयमा ! चउहिं ठाणेहिं अटकम्मपगडीओ चिणिसति) हे गौतम ! चार कारणों से आठ कर्म प्रकृतियों का चय करेगे (तं जहा) वे इस प्रकार (कोहेणं, माणेणं, मायाए, लोभेणं) क्रोध से, मान ले, माथा से और लोभ ले (एथं नेरइया जाव वेमाणिया) इसी प्रकार नारक यावस् वैमालिक । . (जीवा णं भंते ! कतिहिं ठाणेहिं अट्ठकम्मगडीओ उवचिणिसु) हे भगवन् ! जीवों ने कितने कारणों से अष्ट कर्मप्रकृतियों का उपचय किया है ? (गोयमा! चउहिं ठाणेहिं अट्टकरमपगडीओ उरचिणिंसु) हे गौतम! चार कारणों से अष्ट कर्मप्रकृतियों का उपचय किया है (तं जहा-कोहेणं, माणेणं, मायाए, लोभेण) दे इस प्रकार-क्रोध से, मान से, माया से और लोभ से (एवं नेरइया जाव वेमाणिया) इसी प्रकार नारक यावत् वैमानिक
(जीवाणं) जीवों के विषय में(भंते!) हे भगवन् ! (पुच्छा) प्रश्न (गोयमा ! भायाथी सामयी (एवं नेरइया जाव वेमाणिया) से अरे ना२४ याव-वैभानि४ पर्यन्त सभ . . .
(जीवाणं भंते ! कईहि ठाणेहिं अटुकम्मपगडीओ चिणिस्संति ?) भगवन् ! ७१ टसा रणथी २मा ४ प्रतियाना यय ४२शे १ (गोयमा ! चउहि ठाणेहिं अट्ठकम्म पगडीओ चिणिस्संति) 3 गौतम ! या२ थी' 8 भ प्रतियोना यय ४२री (तं जहा) ते 21 प्रहारे (कोहेणं, माणेणं, मायाए, लोभेणं) जोधथी, भानथी, मायाथी, सामयी (एवं नेरइया जाव वेमाणिया) से प्रारे ना२४ यावतू वैमानि४ पन्त सम .
(जीवाणं भते काहिं ठाणेहिं अट्टकम्मपंगडीओ उवचिणिसु) समवन् । । टस!
थी अष्ट में प्रतियान ५५५ ४३ छे ? (गोयमा । चहिं ठाणेहिं अट्ठ 'कम्मपगडीओ.उबचिणि सु) • गौतम ! या२ रणथी मष्ट में प्रकृतियाना उपयय ४२ 'छ (तं, जहा-कोहेणं,, माणेणं, मायाए, लोभेणं) ते मा हारे-धथी, भानथी, भायाथी, हालथी (एवं नेरइया जाव मागिया) मे रे ना२४ यावत् वैमानि । (जीवाणं) 04 (भंते ।) से भगवन् ! (पुच्छा) . प्रश्न (गोयमा ! चउहि ठाणेहिं उवधि