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प्रशापना इन्द्रियपरिणामः खलु भदन्त ! कतिविधः प्रज्ञप्तः ? गौतम ! पश्चविधः प्रज्ञप्तः, तद्यथा-श्रोत्रे न्द्रियपरिणामः, चक्षुरिन्द्रियपरिणामः, घाणेन्द्रियपरिणामः, जिहूवेन्द्रियपरिणामः, स्पर्गेन्द्रियपरिणामः २, कपायपरिणामः खलु भदन्त ! कतिविधः प्रज्ञप्तः ? गौतम ! चतुर्विधः प्रज्ञप्तः, तद्यथा-क्रोधकपायपरिणामः, मानकपायपरिणामः, मायाकपायपरिणामः, लोभकपायपरिणामः ३, लेश्यापरिणामः खलु भदन्त ! कतिविधः प्रज्ञप्तः ? गौतम ! पडूविधः प्रज्ञतः, तद्यथापरिणाम (तिरियगतिपरिणामे) तिर्यचति परिणाम (मणुधगति परिणामे) मनुष्यगति परिणाम (देवतिपरिणामे) देवगतिपरिणाम
(इंदियपरिणामे णं भंते ! कविहे पण्णत्ते ?) हे भगवन ! इन्द्रिय परिणाम कितने प्रकार का कहा है ? (गोयमा ! पंचविहे पण्णते) हे गौतम ! पाँच प्रकार का कहा है (तं जहा) वह इस प्रकार (सोडदियपरिणाने) श्रोत्रेन्द्रिय परिणाम (चक्विंदियपरिणामे) चक्षुइन्द्रिय परिणाम (घाणिदिधपरिणामे) घाणेन्द्रिय परिणाम (जिभिदियपरिणा) जिहवेन्द्रियपरिणाम (कासिदियपरिणामे) स्पर्शन्द्रिय परिणाम
(कसाय परिणाम भंते ! काविहे पण्णत्ते ?) हे भगवन् ! कषाय परिणाम कितने प्रकार का कहा है ? (गोयमा! चउविहे पण्णत्ते) हे गौतम ! चार प्रकार का कहा है (तं जहा) वह इस प्रकार (कोहकसायपरिणामे) क्रोधकषाय परिणाम (माणकसायपरिणाले) मानकषायपरिणाम (मायाकसायपरिणारे) मायाकषाय परिणाम (लोभकसायपरिणामे) लोभकषाय परिणाम
(लेस्लापरिणामे ण भंते ! कइविहे पण्णत्त ?) हे भगवन् ! लेश्या परिणाम कितने प्रकार का कहा ? (गोयमा ! छबिहे पण्णत्ते) हे गौतम ! छह प्रकार का
(इदियपरिणामे णं भने । तइविहे पण्णत्ते) हे साप ! दय परिणाम मा ४t२॥ ४९ छ । (गोयमा ! पंचविहे पण्णत्ते) हे गौतम | पाय प्रारना ह्या छ (तं जहो) ते २ मारे (सोइदियपरिणामे) श्रीन्द्रिय परिणाम (चक्विंदियपरिणामे) यक्षु न्द्रिय परिणाम (पाणिदिय परिणामे) प्राणेन्द्रिय परिणाम (जिमिंदियपरिणामे) टन्द्रिय परिणाम (फासि दियपरिणामे) २५न्द्रिय परिणाम
(कमाय परिणामेणं भंते | कइविहे पण्णत्ते ?) . मावन् । पाय परिणाम सा ५४॥२४२ ? (गोयमा ! चउविहे पण्णत्ते) 8 गौतम ! या२ ४२ ह्या छ (तं जहा) ते 240 रे (कोहकसायपरिणाभे) लोध, पाय परिणाम (माणकसायपरिणामे) भान ४वाय परिणाम (मायाकसायपरिणामे) भाया ४ायपरिणाम. (लोभकसायपरिणामे) લેકષાય પરિણામ