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प्रयोधिनी टीका पद ११ लू० १४ भापाविशेपभेदनिरूपणम् जातम् चतुर्थ र सत्सवासापाजातम्, इत्येतानि भदन्त ! चत्वारि नापाजातानि भाषमाणः किमाराधकः ? विराधकः ? गौतम! इत्येतानि सारि भापाजातानि आयुक्तं भाषमाण आराधको न विराया, तेन पर असंयतादिरताप्रतिहता प्रत्याख्यातपापकर्मा सत्यां मापां भाषमाणो मृया वा, सत्यमृपा बा, असत्यमृपावा, मापां भायमाणो नो आराधको विराधकः, एतेपा खलु भदन्त ! जीवानां सत्यभाषकाणां मृपामायकाणां सत्यमृपामापकाणाम् असत्यमृषाप्रकार कहे हैं ? (गोयमा! चत्तारि भालज्जाया पण्णता) हे गौतम ! भाषा के चार प्रकार कहे हैं (तं जहा) वे इस प्रकार हैं (सच्चमेगं भासज्जाय) भाषा का एक प्रकार सत्य (वितिय मोसं भालज्जाय) दूसरा भाषा का प्रकार मृषा है (तइयं सच्चामोसं भालज्जातं) तीसरा लाषाप्रकार सत्याभूषा है (चउत्थं असच्चानोस भालज्जातं) चौथा भाषा का प्रकार असत्याषा है। " (इच्चेड्याइं भंते ! चन्तारि भालज्जायाइं भासमाणे) इन चार भाषा प्रकारों को भाषता हुआ जीव (किं आराहए विराहए ?) क्या आराधक होता है या विराधक होता है ? (गोयना ! इच्चेइयाई भासजायाई आउत्तं भासमाणे) हनं भाषा प्रकारों को उपयोगपूर्वक बोलने वाला (आराहए नो विराहए) आराधक होता है, विराधक नहीं (तेण परं) उपयोग लगा कर भाषण करने वाले से भिन्न (असंजय-अविरथ-अप्पडिय-अपच्चक्खायपादकम्मे) असंयमी, अविरत, पाप कर्म का प्रतिघात और प्रत्याघात न करने वाला (सच्चं भासं भासंतो) सत्य. भाषा बोलता हुआ (मोसंवा सच्चामोसं वा असच्चामोसं बा आसं भासमाणे नो आराहए विराहए) पृषा, लत्यामृषा अथवा असत्यामृषा भाषा भाषता हुआ आराधक नहीं, विराधक है गोयमा! चारि भासज्जाया पण्णत्ता) 8 गौतम | मायाना यार ४२ ४ा छ (तं जहा) तेसो मा ४२ छ (सच्चमेग भाग्नब्जाय) लापान। से४ २ सत्य (वितीयं मोसं भासजाय) मा मापान ४२ भूषा (तइयं सच्चामोस भासज्जाय) श्रीन साषान प्रार अत्याभूषा छे (चरत्यं असच्चामोसं भासजाय) या लापान र असत्या भूषा है (इच्चेइयाइं भंते । चत्तारि मासज्जायाइं भासमाणे) मा २२ लापा रोने मारत (किं आराहप विराहए।) शुमा२।५४ाय छे मगर विराध डाय छे ? (गोयमा ! इच्चे इयाई भासज्जयाई आउत्तं भसमाणे) मा माषा प्रारने या पू: मासना२ (आराहए, नो विराहर) भाराध थाय छे, विराधनडी (तेण परं) पयाग ४२रीन साप ४२नारथा मन्न (असंजय-अविरच-अप्पडिहय अपच्चक्खाचपावकम्मे) मस यमी अविरत, पाप मन प्रतिशत भने प्रत्याभ्यान न ४२।२ (सच्चं भासं भासंतो) सत्य भाषा मासत यी (मोसं वा सच्चामोसं वा असच्चालोलं वा भानं भासमणो नो आराहए विराहए) મા, સત્યામૃષા, અથવા અસત્યામૃષા ભાષા બોલતે થકે આરાધક નથી, વિરાધક છે