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________________ ३३६ प्रज्ञापनासूत्रे कालाई गिण्हद्द ताई कि एगगुण कालाई गेहद जाय अलगुणकालाई गिण्हइ : गोयमा! एगगुण शाला पिचिहाइ जान अणंतराषाकालाई पि गेण्हइ, एवं जाब सुकिल्लाई मि । जाइं भावओ गंधाताई विछहइ ताई कि एगगंधाई गिण्हइ, दुगंधाई निहह ? गोयना महाव्वाई पडुच्च एगगंधाई पि दुगंधाई निभिण्हह, समगहणं पहुच निथलादुगंधाइ गिाहइ, जाइं गंधओ सुमिगंधाई गिण्हइ ताई किं एगणसुन्निगंधाइं गिण्हइ जाव अणंतग सुविनमधाई गिण्ड ? गोयला! एगगुणसुन्भिगंधाई पि जाव अपंतपूणसुभिगंधाई पि गेहइ. वं दुभिगंधाई पि गिण्हइ । जाइं सारओ रसपताइं गेहइ ताई किं एगरसाइं गिण्हइ जाव किं पंचरलाइं गेण्हइ ? गोयला! गहणदव्बाई पडुच्च एगरसाई पि गिण्हइ, जाव पंचरलाई पि गेण्हइ, सव्वगहणं पडुन नियमा पंचरसाइं गेण्हइ । जाइं रलओ तित्तरसाइं गेण्हइ ताई किं एगगुणतित्तरलाई गिण्हइ जा अगंलगुणनित्तरलाई मिहइ ? गोयमा एगगुणतित्ताई पि गिहन जाव अणंतगुणतित्ताई पि गिण्हइ, एवं जाव मधुररलो । जाइं भारओ फालताइं गिण्हइ, ताई कि एगफालाई गेण्हइ जात्र अफासाई गिण्हइ ? गोयमा! गहणदबाई पडुच्च णो एगफासाइं गिण्हइ, दुफासाई भिण्हइ जात्र चउफासाई गेण्हाइ, यो पंचफासाइं गेण्हइ, जाद नो अट्टफासाइं गेण्हइ, समग्यहणं एडुच्च नियसा | चउपासाइं गेहइ, तं जहा-लीतफासाइं गेण्हइ, उसिणफासाउं गिद्धफासाई लुस्खफासाई गेहइ, जाई फासओ सीताई निण्हइ ताई किं एगगुण सीताई गेइ जाव अपंतगुणलोताई गेण्हइ ? गोयगा ! एगगुणसीताई पि गेइ, जार अणंतगुणलीलाई यहह, एवं उसि मिलकरवाई जाद अणंतगुणाई पि पिण्हइ, जाई शंते ! जाद अणंतगुणलुस्खाइं गेहइ ताई किं घुटाई गेम्हइ अपुदाइं गेण्हइ ? गोयमा ! पुट्टाइं गेण्हइ अपुष्टाई नो गेम्हइ, जाई भते! पुढाई मेण्हइ
SR No.009340
Book TitlePragnapanasutram Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1977
Total Pages881
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size64 MB
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