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________________ , ७४ प्रशापनास्त्रे विसेसाहिया, वणस्सइकाइया अपज्जत्ता अणंतगुणा सकाइया .अपजत्तगा विसेसाहिया, वस्तइकाइया पज्जत्तगा संखेजगुणा, -सकाइया पजत्तगा विसेसाहिया, सकाइया विसेसाहिया ॥सू.५। .. छाया-एतेपां खलु भदन्त ! सकायिकानां पृथिवीकायिकानाम्, अप्कायिकानाम्, तेजस्कायिकानाम्, वायुकायिकानाम्, वनस्पतिकायिकानाम्, सकायिकानाम् अकायिकानाम् मध्ये कतरे कतरेभ्यः, अल्पा चा, बहुका बा, तुल्या बा, विशेषाधिका वा ? गौतम ! सर्वस्तोकास्त्रसकायिकाः, तेजस्कायिकाः, असंख्येयगुणाः, प्रथिवीकायिका विशेषाधिकाः, अप्कायिका विशेषाधिकाः, वायुकायिकाः विशेषाधिकाः, अकायिकाः अनन्तगुणाः, वनस्पतिकायिका अनन्त कायद्वार शब्दार्थ-(एएसि णं अंते !) हे भगवन् ! इंन (सकाइयाणं पुढविकाइयाणं आउकाइयाणं तेउकाइयाणं वणस्सइकाइयाणं तमकाइयाणं अकाइयाण) सकाय, पृथिवीकाय, अप्काय, तेजस्काय, वायुकाय, वनस्पतिकाय, त्रसकाय और अकायिक जीवों में से (कयरे कयरेहिंतो) कौन किससे (अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेमाहिया वा ?) अल्प, बहुत, तुल्य या विशेषाधिक हैं ? (गोयमा) हे गौतम ! (सन्वस्थोवा तसकाइया) सब से कम उसकायिक हैं (तेउकाइया असंखेजगुणा) तेजस्कायिक असंख्यातगुणा हैं (पुढविकाइया विसेमाहिया) पृथिवीकायिक विशेषाधिक हैं (आउकाइया विसेमाहिया) अप्कायिक विशेषाधिक हैं (वाउकाइया विसेसाहिया) वायुकायिक विशेषाधिक हैं (अकाइया अणंतगुणा) अकायिक अर्थात् मिट अनन्तगुणा हैं કાય દ્વાર शहाथ-(एसि णं भंते) भगवन् ! 20 (म्काइयाणं पुढविकाइयाणं आउ काइयाग, तेउकाइयाणं, वाउकाइयाणं, वणरसइकाइयाणं, तसकाइचाणं अकाइयाण) સકાય, પૃથ્વીકાય, જળકાય, તેજસ્કાય, વાયુકાય, વનસ્પતિકાય, ત્રસકાય અને सायि४ माथी (कयरे कयरेहितो) और अनाथी (आपा या बहुया वा, तुल्ला वा विसेसाहिया वा ? ) म८५, धा, तुझ्य, भा२ विशेषाधि छ ? । __(गोयमा । ) गौतम । (सव्वत्योवा तसकाइया) माथी माछा रस यि छ (तेउकाइया असंखेज्जगुणा) ते४२४ायि४ असभ्यात गुणा छ (पुढवी कोइया विसेसाहिय.) पृथ्वीयि: विशेषाधि छ (आउकाइया विसेसाहिया) .. यि विशेषाधि छ (वाउकाइया विसेसाहिया) वायुयि विशेषाधिन छ (अकाइया
SR No.009339
Book TitlePragnapanasutram Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1975
Total Pages1196
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size80 MB
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