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प्रमेययोधिनी टीका पद ५ सू.१३ परमाणु पुद्गलपर्यायनिरूपणम् ७२५ स्थानपतितः, अवगाहनार्थतया चतु:स्थानपतितः स्थित्या तुल्यः, वर्णादिभिरष्टस्पशैः पट्स्थानपतितः एवं यावद्-दशसमयस्थितिकः, संख्येयसमयस्थितिकानामेवञ्चैव, नवरम्-स्थित्या द्विस्थानपतितः, असंख्येयसमयस्थितिकानामेवश्चैव, नवरं स्थित्या चतु:स्थानपतितः, एकगुणकालनानां पृच्छा, गौतम ! अनन्ताः पर्यवाः प्रज्ञप्ताः तत् केनार्थेन भदन्त ! एवमुच्यते-एकगुणकालकानामनन्ताः पर्यवाः प्रज्ञप्ताः ? गौतम ! एकगुणकालकः पुद्गलः एकगुणकालकस्य पुद्गलस्य द्रव्यास्थितिवाला पुद्गल दूसरे एक समय की स्थिति वाले पुद्गल से द्रव्य की दृष्टि से तुल्य है (पएसट्टयाए छठ्ठाणवडिए) प्रदेशों की अपेक्षा से षट्रस्थानपतित है (ओगाहणट्टयाए चउहाणडिए) अवगाहना से चतु:. स्थानपतित है (ठिईए तुल्ले) स्थिति से तुल्य है (वण्णाइअफासेहिं छट्ठाणवडिए) वर्णादि से तथा अष्ट स्पर्शो से पट्स्थानपतित है (एवं जाव दसलमरठिइए) इसी प्रकार यावत् दस समय की स्थिति वाला (संखेज्जसमयठिझ्याणं एवं चेव) संख्यात समय की स्थिति वालों की वक्तव्यता इसी प्रकार की (गवरं) विशेष (ठिईए दुट्ठाणवडिए) स्थिति से द्विस्थानपतित (असंखेजसमयठियाणं एवं चेव) असंख्यात समय की स्थिति वालों की प्ररूपणा ऐसी ही (नवरं) विशेष (ठिईए चउठाणवडिए) स्थिति से चतुःस्थानपतित
(एगगुणकालगाणं पुच्छा ?) एकगुणकाले की पृच्छा ? (गोयमा ! अणंता पज्जवा पण्णत्ता) हे गौतम ! अनन्त पर्याय कहे हैं (से केणष्टेणं भंते ! एवं वुच्चई-एगगुणकालगाणं अर्णता पजवा पण्णत्ता ?) किस द्रव्यनीष्टिये तुक्ष्य छ (पएसठ्याए छटाणवडिए) प्रशानी अपेक्षा ५८स्थान पतित छे (ओगाहणट्ठयाए चउट्ठाणवडिए) मानायी यतुःश्यान पतित छ (ठिइए तुल्ले) स्थितिथी तुक्ष्य छ (वण्णाइ अटफ सेहिं छहाणबडिए) वाहिथी मने भष्ट २५ थी पटस्थान पतित छ (एवं जाव दस समयठिइए) मे 2 यावत् ४० सभयनी स्थितिवा (संखेज समय ठिझ्याणं एवं चेव) सण्यात समयनी स्थितिवाणानी १४तव्यता 241 प्रा२नी (णवर) विशेष (ठिइए दुराण वडिए) स्थितिथी द्विस्थान पतित (असंखेजसमय ठिइयाण एवं चेब) मसण्यात सभयनी स्थितिवाणामानी प्र३५। मेवी छ (नवर) विशेष (ठिईएचउद्राण वडिए) स्थितिथी यतु:स्थान पतित
(एगगुणकालगाणं पुच्छा ?) मे गुए नी छ। १ (गोयमा ! अणंता पज्जया पण्णत्ता) गौतम ! मनन्त पर्याय या छे (से णट्टेण एवं बुच्चइ एगगुणकालगाणं अणंता पज्जवा पण्णत्ता ?) साप ! शा २० मे छ