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________________ प्रमेयबोधिनी टीका पद ५२.१२ अजीवपर्यायनिरूपणम् ७७५ ___ छाया-अजीवपर्यवाः खलु भदन्त ! कतिविधाः प्रज्ञप्ताः ? गौतम ! द्विविधाः प्रज्ञप्ताः, तद्यथा-रूप्यजीवपर्यवाश्च, अरूप्यजीवपर्यवाश्च, अरूप्यजीवपर्यवाः खलु भदन्त ! कतिविधाः प्रज्ञप्ताः ? गौतम ! दशविधाः प्रज्ञप्ताः, तद्यथा धर्मास्तिकायः, धर्मास्तिकायस्य देशः, धमोस्तिकायस्य प्रदेशाः, अधर्मास्तिकायः अधर्मास्तिकायस्य देशः, अधर्मास्तिकायस्य प्रदेशाः आकाशास्तिकायः, आकाशास्तिकायस्य देशः, आकाशास्तिकायस्य प्रदेशाः, अद्धासमयः, रूप्यजीवपर्यवाः खलु भदन्त ! कतिविधाः प्रज्ञप्ताः ? गौतम ! चतुर्विधाः पण्णत्ता) हे गौतम ! दो प्रकार के कहे हैं (तं जहा) वे इस प्रकार हैं (रूवि अजीवपज्जवा य अरूविअजीवपज्जवा य रूपी-अजीव के पर्याय और अरूपीअजीव के पर्याय (अरूविअजीवपज्जवा णं भंते! कइविहा पण्णत्ता ?) हे भगवन् ! अरूपी अजीव के पर्याय कितने प्रकार के कहे हैं ? (गोयमा ! दसविहापण्णत्ता) हे गौतम ! दस प्रकार के कहे हैं (तं जहा) वे इस प्रकार (धम्मत्थिकाए) धर्मास्तिकाय (धम्मस्थिकायस्स देसे) धर्मास्तिकायकादेश (धम्मत्थिकायस्स पएसा) धर्मास्तिकाय के प्रदेश (अधम्मस्थिकाए) अधर्मास्तिकाय (अहम्लथिकायस्स देसे) अधर्मास्तिकाय का देश (अहम्मत्थिकायस्स पएला) अधर्मास्तिकाय के प्रदेश (आगालत्थिकाए) आकाशास्तिकाय (आगासस्थिकायस्स देसे) आकाशास्तिकायका देश (आगासस्थिकायस्स पएसा) आकाशास्तिकाय के प्रदेश (अद्धासमए) और अद्धासमय (रूविअजीवपज्जवा गं भंते ! कइविहा पण्णत्ता ?) हे भगवन् ! रूपीअजीव के पर्याय कितने प्रकार के कहे हैं ? (गोयमा ! चउन्विहा ४ा छे (तं जहा) ते २मा प्ररे छ (रुवि अजीवपज्जवो य अरूवि अजीव पज्जवाय) ३५ मन पर्याय अने. २५३पी सपना पर्याय (अरूवि अजीव पज्जवाणं भंते । फइ विहा पण्णता ?) मावन् । ३०ी ७०५ पर्याय ३८सा 3था छ (गोयमा ! दसविहा पण्णत्ता) 3 गौतम! इस प्रश्न हा छ. (तं जहा) ते २मा रे (धम्मत्थिकाए) धर्मास्तिय (धम्मत्थिकायम्स देसे) धमा(२४ायना हेश (धम्मत्थिकायस्स पएसा) घास्तियना प्रदेश (अधम्मत्थिकाए) अधस्तिय (अधमत्थिकायस्स देसे) मध स्तियना टेश (अहमस्थिकायस्स पएसा) मास्तियना प्रदेश (आगासत्थिकाग) मातिय (आगासस्थिकायस्स देसे) साशास्तियन हेश (आगासधिकायम्म पएसा) मातना प्रोश (अद्धासमाए) सन मा समय (रूवि अजीव पज्जवाणं भंते ! कइविहा पण्णत्ता) लगवन् । ३५० म०पना पर्याय ३८ ॥२॥ ४ा छ ? (गोयमा ! चउविहा पण्णत्ता) गौतम ! यार
SR No.009339
Book TitlePragnapanasutram Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1975
Total Pages1196
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size80 MB
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