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प्रमेयधोधिनी टीका पद ५ सू ८ पृथ्वीकायिकादीनां पर्यायनिरूपणम् ६७३ यिकानां पृच्छा, गौतम ! अनन्ताः पर्यवाः प्राप्ताः, तत् कनार्थेन भदन्त ! एचमुच्य ने-जधन्यमत्यज्ञानीनां पृथिवीकायिकानामनन्ताः पर्यवाः प्रज्ञप्ताः ? गोनम ! जघन्यमत्यज्ञानी पृथिवीकायिको जवन्यमत्यज्ञानिनः पृथिवीकायिकस्य व्यार्थतया तुल्यः, प्रदेशार्थतया तुल्यः, अवगाहनार्थ तया चतुःस्थानपतितः, स्थित्या त्रिस्थानपतितः, वर्णगन्धरसस्पर्शपर्यवै षट् स्थानपतितः, मत्यज्ञानपर्यवेत्तुल्यः, श्रुताज्ञानपर्यवैः, अचक्षुर्दर्शनपर्यवैः पट् स्थानपतितः, एवम् उत्कृष्टमत्यज्ञानी पज्जवा पण्णता) हे गौतम ! अनन्त पर्याय कहे हैं (से केणटेणं भंते एवं बुच्चइ-जहणमइअण्णाणीणं पुढनिकाइयाण अणंता पज्जवा पण्णत्ता ?) हे भगवन् ! किसकारण पेसा कहा गया कि जघन्य मतिअज्ञानी पृथ्वीकाथिकों के अनन्त पर्याय कहे हैं ? (गोयमा ! जहण्णमइअण्णाणी पुढविकाइए जहण्णमइअन्नाणिस्ल पुढषिकाड्याम बट्टयाए तुल्ले) हे गौतम ! जघन्य अति-मानी पृथ्वीकाधिक जघन्य मति अज्ञानी पृथ्वीकायिक से द्रव्य की अपेक्षा तुल्य है (पएसठ्याए तुल्ले) प्रदेशों की अपेक्षा तुल्य है (ओगाहणढयाए चउट्ठाणवडिए) अवगाहना की अपेक्षा से चतु:स्थानपलित है (ठिईए तिहाणवडिए) स्थिति से त्रिस्थानपतित है (वाणगंधरसफासपज्जवेहिं छहाणवडिए) वर्ण, गंध, रस, स्पर्श, के पर्यायों से पदस्थानपतित है (मइअण्णाणपन्जदेहिं तुल्ले) भति-अज्ञान के पर्यायों से तुल्य है (सुयअण्णाणपज्जवेहिं अचक्रवदसणपज्जवेहिं छठाणवडिए) ताज्ञान और अचक्षुदर्शन के पर्यायों से षट्स्थानपतित है (एवं उक्कोसबइअण्णाणी मज्ञानी वीयिटीना विषयमा छ ? (गोयमा ! अणंता पज्जवा पण्णत्ता) हे गौतम । मनन्त पर्याय ४ा छ (से केणटेणं भंते । एवं वुच्चई जहण्णमइअण्णणीणं पुढविकाइयाणं अणंतो पञ्जवा पणता ?) भगवन् ! ।। २६ सभ કહેલું છે કે જઘન્ય મતિ અજ્ઞાની પૃથ્વી કાયિકેના અનન્ત પર્યાય કહ્યા છે? (गोयमा । जहण्णमइ अण्णाणी पुढविकाइए जहण्णमइ अन्नाणिस्स पुढविकाइयस्स दबट्टयाए तुल्ले) र गौतम | धन्य भति जानी वीयि धन्य मति
ज्ञानी वीयिस्थी द्र०यनी अपेक्षा तुल्य छ (पएसट्टयाए तुल्ले) प्रशानी मपेक्षा तुझ्य छ (ओगाहणट्याए चउटाणवडिप) गाहनानी अपेक्षाये यतुःस्थान पतित छ (ठिइए तिट्ठाणवडिए) स्थितिथी विस्थान पतित छे (वण्ण गंधरसफासपज्जवेहिं छदाणवडिए) पशु, ध, २२ २५ना पर्यायाधी पट्थान पतित छ (मइ अण्णाणपज्जवेहि तुल्ले) भति, ज्ञानना पर्यायाथी तुझ्य छे (सुयअण्णाणपज्जवेहिं अच खुदंसणपउजवेहिं छाणवडिए) ताजान
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