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मेरदोदिनी टीका पद ४ सू ९ वैमानिकदेवानां स्थितिनिरूपणम् ४२३ सप्तदशसागरोपमाणि अन्तर्मुहूत्तौनानि, सहस्त्रारे कल्पे देवानां पृच्छा. गौतम ! जघन्येन सप्तदशसागरोपमाणि उत्कृप्टेन अष्टादशसागरोपमाणि, अपर्याप्तकानां पृच्छा, गौतम ! जघन्येनापि उत्कृप्टेनापि अन्तर्मुहूर्तम्, पर्याप्तकानां पृच्छा, गौतम ! जघन्येन सप्तदशसागरोपमाणि अन्तर्मुहत्तौनानि, उत्कृष्टेन अष्टादश सागरोपमाणि अन्तर्मुहूर्तोनानि, आनते कल्पे देवानां पृच्छा, गौतम ! जघन्येन मुहत्त) हे गौतम ! जघन्य श्री और उत्कृष्ट भी अन्तर्मुहुर्त की (पज्जत्तथाणं पुच्छा ?) पर्याप्तफों की स्थिति कितनी ? (गोयमा ! जहपणेणं चउद्दस सागरोवमाई अंतोछुहुत्तूणाइ', उक्कोसेणं सत्तरस सागरोवनाई अंतोमुहुत्तूणाई) हे गौतम ! जघन्य अन्तर्खहर्त कम चौदह लागरोपम की, उत्कृष्ट अन्तमुहर्त कम सतरह सागरोपम की। _ (सहसारे कप्पे देवाणं पुच्छा ?) सहस्रार कल्प में देवों की स्थिति कितनी ? (गोयसा ! जहण्णेणं लत्तरस' सागरोवमाई, उक्कोसेणं अट्टारस सागरोवसाई) हे गौतम ! जघन्य सतरह सागरोपस की उत्कृष्ट अठारह लागरोपम की (अपज्जत्तयाणं पुच्छा ?) अपर्याप्तक देवों की स्थिति कितनी ? (गोयमा ! जहण्णेण वि उक्कोसेण वि अंतोमुहत्तं) हे गौतम ! जघन्य भी और उत्कृष्ट भी अन्तर्मुहर्त की (पज्जत्तयाणं पुच्छा?) पर्याप्तक देवों की स्थिति कितनी ? (गोयमा ! जहणेणं सत्तरस सोगरोवाई अंतोनुहुतूणाई, उक्कोसेणं अट्ठारस सागरो'वमाई अंतोचहत्तणाई) हे गौतम ! जघन्य अन्तर्मुहूर्त कम स्तरह
अपयति वानी स्थिति सी ? (गोयमा । जपणेणं वि उक्कोसेण वि अन्तोमुहत्तं) गौतम ! धन्य ५५ म Gट मन्तभुतानी (पज्जत्तयाणं पुच्छा ?) पर्यासमोनी स्थिति सी ? (जहण्णेणं चउद्दससागरोवमाई अंतोमुहुत्तणाई, उनकोसेण सत्तरस. सागरोवमाइं अंतोगुहुत्तणाई) गौतम ! धन्य मन्तभुत । यौह सागरीપમની, અને ઉત્કૃષ્ટ અન્તર્મુહૂર્ત એછા સત્તરસાગરોપમની.
(सहस्सारे कप्पे देवाण पुच्छा ?) सखा२४८५मा हेवानी स्थिति सी ? (गोयसा । जहणेणं सत्तरस सागरोवमाइं, उक्कोसेणं अट्ठारससागरोवमाई) गौतम !
धन्य सत्त२साग।५मनी Bष्ट मा२ सागरोपभनी (अपजत्तयाणं पुच्छा ?) अपर्यास हेवानी स्थिति मी ? (गोयमा ! अण्णेण वि उक्कोसेण वि अंतोमुहत्त) गौतम | धन्य पा] मने Gट पशु सन्त भूतनी (पज्जत्तयाणं पुच्छा ?) पर्याप्त हेयोनी स्थिति सी ? (गोयमा ! जहण्णेणं सत्तग्मसागरोवमाई अंतोमुहत्तणाई, अकोसेणं अट्ठाससागरोवमाई अंतोगुहुत्तणाई ) गौतम ! सन्य અત્તમુહૂર્ત ઓછા સત્તરસાગરોપમની અને કૃષ્ણ અન્તર્મુહૂર્ત ઓછા