________________
.५२०
प्रयापनाचे जघन्येन द्वे सागरोपमे, उत्कृष्टेन सप्तसागरोपमानि, अपर्याप्तिकानां पृच्छा, गौतम ! जघन्येनापि उत्कृष्टेनापि अन्तर्मुहूर्तम्, पर्याप्तिकानां पृच्छा, गौतम ! जघन्येन द्वे सागरोपमे, अन्तमुहाने, उत्कृप्टेन सप्तसागरोपमानि अन्तर्मुहूत्तोंनानि, माहेन्द्रे कल्पे देवानां पृच्छा, गौतम ! जघन्येन सातिरेके द्वे सागरोपमे उत्कृष्टेन सातिरेकानि सप्तसागरोपमानि, अपर्याप्तकानां पृच्छा, गौतम ! जघन्येनापि उत्कृष्टेनापि अन्तर्गहूर्तम्, पर्याप्तकानां पृच्छा, गौतम ? जघन्येन द्वे सागरोपमे सातिरेके अन्तर्मुहूत्तोंने, उत्कृष्टेन सप्तसागरोपमानि सातिरेकाणि स्थिति कितनी ? (गोयमा ! जहणेणं दो सागरोवमाइ', उकोसेणं सत्त सागरोवमाई) हे गौतम ! जघन्य दो सागरोपम, उत्कृष्ट सात सागरोपम की (अपज्जत्तयाणं पुच्छा ?) अपर्याप्त देवों की पृच्छा? (गोयमा ! जहण्णेण वि उक्कोसेण वि अंतोमुहुत्तं) हे गौतम ! जघन्य भी और उत्कृष्ट भी अन्तर्मुहूर्त की (पज्जत्तयाणं पुच्छा ?) पर्याप्तक देवों की स्थिति की पृच्छा ? (गोयमा ! जहणेणं दो सागरोवमाई अंतोमुहुत्तणाई, उक्कोसेणं सत्त सागरोवमाई अंतोमुहुत्तूणाई) हे गौतम ! जघन्य अन्तर्मुहूर्त कम दो सागरोपम की, उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त कम सात सागरोपम की। - (माहिंदे कप्पे देवाणं पुच्छा ?) माहेन्द्र कल्प में देवों की स्थिति की पृच्छा ? (गोयमा ! जहण्णेणं साइरेगं दो सागरोक्माई, उक्कोसेणं साइरेगाई सत्त सागरोवमाई) हे गौतम ! जघन्य किंचित् अधिक दो सागरोपम की, उत्कृष्ट किंचित् अधिक सात सागरोपम की (अपज्जत्तियाणं पुच्छा ?) अपर्याप्तक देवों की स्थिति की पृच्छा? (गोयमा ! जहण्णेण वि उच्छोसेण वि अंतोमुहुत्तं) हे गौतम ! जघन्य
सी ? (गोयमा । जहण्णेणं दो सागरोवमाइ, उक्कोसेणं सत्तसागरोवमाई) गौतम । धन्य मे सागरी५म, Srgbट सात साग।५२नी, (अपज्जत्तयाणं पुच्छा ?) अपर्यात हेवानी छ। १ (गोयमा ! जहण्णेण वि उक्कोसेण वि अंतोमुहुत्तं)
धन्य ५ मने उत्कृष्ट ५ मन्तभुत नी (पज्जत्तयाणं पुच्छा ?) पर्याप्तवानी स्थितिनी छ ? (गोयमा । जहण्णेणं दो सागरोवमाइं अंतोमुहुत्तणाई, उक्कोसेणं सत्तसागरोबमाइं अंतोमुहुत्तणाई) गौतम ! धन्य मन्तभुत माछा में सागरપમની, ઉત્કૃષ્ટ અન્તમુહૂર્તા ઓછા સાત સાગરોપમની.
(माहिंदे कप्पे देवाणं पुच्छा ?) माहेन्द्र४६५मा हेवानी स्थितिनी १२छ? (गोयमा । जहण्णेणं साइरेगाई दो सागरोवमाइं, उक्कोसेणं साइरेगाई सत्तसागरोबमाई गौतम | धन्य हथित् मधि में सागरोपमनी, उत्कृष्ट · यित् अधि सातसागरामनी (अपज्जत्तियाणं पुच्छा ?) २५५र्यात हेवानी ३२छ।?