________________
४८२
प्रशापनाने तिर्यग्योनिकानां भदन्त ! कियन्तं कालं स्थितिः प्रज्ञता ? गौतम ! जघन्येन अन्तर्मुहूर्तम्, उत्कृप्टेन पूर्वकोटी, अपर्याप्तकानां पृच्छा, गौतम ! जयन्येनापि उत्कृष्टेनापि अन्तर्मुहूर्तम्, पर्याप्तकानां पृच्छा, गौतम ! जयन्येन अन्तर्मुहूर्तम्, उत्कृष्टेन पूर्वकोटी अन्तर्मुहूत्तौना, संमृच्छिमजलचर पञ्चन्द्रियतिर्यग्योनिकानां पृच्छा, गौतम ! जघन्येन अन्तर्मुहूर्तम्, उत्कृष्टेन पूर्वकोटी, अपर्याप्तकानां उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त कम तीन पल्योपन की।
(जलयरपंचिंदिय तिरिक्खजोणियाणं भंते ! शेवइयं कालं ठिई पण्णत्ता ?) हे भगवन् ! जलचर पंचेन्द्रिय तिर्यचों की कितने काल की स्थिति कही है ? (गोयमा) हे गौतम ! (जहाणेण अंतोहुत्तं, उक्कोसेणं पुव्वकोडी) जघन्य अन्त हत, उत्कृष्ट करोड पूर्व को (अपज्जत्तयाणं पुच्छा ?) अपर्याप्तकों की स्थिति की पृच्छा ? (गोयमा) हे गौतम ! (जहण्णेण वि उक्कोलेण वि अंतोमुहुत्त) जघन्य भी और उत्कृष्ट भी अन्तर्मुहूर्त (पज्जतयाणं पुच्छा ?) पर्याप्तों की स्थिति की पृच्छा ? (गोयमा) हे गौतम ! (जहणेणं अंतोनुहुत्तं, उक्कोसेणं , पुचकोडी अंतोमुहुत्तूणा) जघन्य अन्तर्मुहूर्त, उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त कम कोटिपूर्व की। - ___ (समुच्छिम जलयरपंचिंदिय तिरिक्खजोणियाणं पुच्छा ?) समूछिम जलचर पंचेन्द्रिय तिर्यचों की स्थिति की पृच्छा ?) (गोयमा) हे गौतम ! (जहण्णेणं अंतोमुहत्तं, उक्कोलेणं पुचकोडी) जघन्य अन्तત્રણ પાપની
(जलयर पंचिंदियतिरिक्ख जोणियाणं भंते । केवइयं कालं ठिई पण्णत्ता ?) लरपन् । ५२ ५येन्द्रिय तिय यानी साना स्थिति सी छे ? (गोयमा !) हैं गौतम ! (जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं,, उक्कोसेणं पुञ्चकोडी) ४५न्य मन्ततः , उत्कृष्ट ४२।पूर्वनी (अपन्नत्तयाण पुच्छा.१) २५५र्याानी छ। (गोयमा ) उ, गौतम ! (जहण्णेण वि. उक्कोसेण वि अंतोमुहुत्तं) ४धन्य ५ अने. कृष्ट ५५ मन्तकृत (पज्जत्तयाणं- पुच्छा ?) पर्याप्तान स्थितिनी २७ ? (गोयमा !) उ गौतम । (जहणेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेण पुचकोडी अंतोमुहुत्तणा) धन्य અન્તર્મુહૂર્ત, ઉત્કૃષ્ટ અન્તર્મુહૂર્ત ઓછા કટિ પૂર્વની -
(संमुच्चिम जलयर पंचिंदिय तिरिक्ख जोणियाणे, पुच्छा ?) से भूमिसय२ ५येन्द्रिय तिय यानी स्थिति छ ? (गोयमा ।) ॐ गौतम ! (जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेण पुव्वकोडी) धन्य मन्तभुत, उत्कृष्ट पूर्वजटिनी. (अपज्जत्तयाण पुच्छा ?). २५५तानी छ ? (गोयमा ) गौतम । (जहण्णेण