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________________ प्रमैयबोधिनी टीका पद ३ सू.३९ परमाणुपुद्गलानामल्पवहुत्वम् ३८७ वगाहापुद्गलाः द्रव्यार्थतया अपंख्येय गुणाः, ते चैव प्रदेशार्थतया असंख्येयगुणाः, एतेषां खलु भदन्त ! एकसमयस्थितिकानास्, द्विसमयस्थितिकानां यावत् असंख्येयसमयस्थितिकानाम् पुद्गलानां द्रव्यार्थतया, प्रदेशाथतया, द्रव्यार्थप्रदेशार्थतया कतरे कतरेभ्योऽल्पा वा, बहुका वा, तुल्या वा, विशेषाधिका वा ? गौतम ! सर्वस्तोकाः एकसमयस्थितिकाः पुद्गलाः द्रव्यार्थतया, संख्येयसमयस्थितिकाः पुद्गलाः द्रव्यार्थतया संख्येयगुणाः, असंख्येयगुणा हैं (असंखिज्जपएसोगाढा पुग्गला वट्टयाए असंखिज्जगुणा) असंख्यात प्रदेशों में अवगाढ पुद्गल द्रव्य से असंख्यातगुणा हैं (ते चेव पएसट्टयाए असंखिज्जगुणा) वे ही प्रदेशों से असंख्यातगुणा हैं। ... (एएसि णं भंते !) हे भगवन् ! इन (एगलमयठिइयाणं) एक समय की स्थिति वाले (वेसमयठिझ्याण) दो समय की स्थिति वाले (जाव) यावत् (असंखेज्ज समयठिइयाण) असंख्यात समय की स्थिति वाले (पुग्गलाणं) पुद्गलों में (दव्वयाए) द्रव्य से (पएसट्टयाए) प्रदेशों से (व्वट्टपएसट्टयाए) द्रव्य और प्रदेशों से (कयरे) कौन (कयरेहितो) किस से (अप्पा वा बहुया वो तुल्ला वा विसेसाहिया वा ?) अल्प, बहुत, तुल्य या विशेषाधिक हैं ? (गोयमा !) हे गौतम ! (सव्वत्थोवा एंगलमयठिया पुग्गला दयाए) सब से कम एक समय की स्थिति वाले पुद्गल हैं द्रव्य से (संखिज्जलमयठिया पुग्गला दबट्टयाए संखिज्जगुणा) संख्यात समय की स्थिति वाले पुद्गल द्रव्य से संख्यात गुणा हैं (असखि जलमयठिझ्या पुग्गलो चट्टयाए असंखिज्जगुणा) पुहास द्र०यनी अपेक्षाथी सयात गए। छे. (ते चेव पएसट्टयाए संखिज्जगुणा) ते प्रशानी अपेक्षाथी सयात छ. (असंखिज्जपएसोगाढा पुग्गला दब ट्रयाए असं खिज्जगुणा) असभ्यात अशामा अगाट गत द्रव्यथी मसायात 'गा। छ. (ते चेव पएसठ्ठयाए असंखिज्जगुणा) मे १ प्रदेशाथी मसण्यातमा छ. (एएसिणं भंते !) ले सन् २0 (एगसमयठिइयाणं) मे समयनी स्थिति पा (बे समयठिइयाणं) मे समयनी स्थितिया (जाव) यावत् (असंखेज्ज समयठिइयाणं) मसण्यात समयानी स्थितिवाणा (पुग्गलाणं) पुगतामा (दच्य. याए) द्रव्यथी (पएसट्टयाए) प्रशाथी (दव्वट्ठपएसठ्ठयाए) द्रव्य मने प्रदेशाथी (कयरे) र (कयरेहिंतो) नाथी (अप्पावा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया • वा) २६५ घा, तुझ्य मगर विशेषाधिन छ ? (गोयमा !) 3 गौतम ! (सव्वत्थोवा एगसमयठिइया पुग्गला दव्वट्ठयाए) सौथी माछा से समयनी स्थितिमा पुल द्रव्यथी छ. (संखिज्जसमयहिइया पुगगला दमट्टयाए संखिजगुणा) यात समयनी स्थितिमा पुगता
SR No.009339
Book TitlePragnapanasutram Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1975
Total Pages1196
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size80 MB
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