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प्रशवितो टीका पद३ सू.३५ क्षेत्रानु नारेण पृथिविकायिकाद्यल्पवहुत्वम् ३४१ अधोलोकतिर्यग्लोके विशेषाधिकाः, तिर्यग्लोके असंख्येयगुणाः, त्रैलोक्ये असंख्येयगुणाः, ऊर्ध्वलोके असंख्येयगुणाः, अधोलोके विशेषाधिकाः, क्षेत्रानुपातेन सर्वस्तोका वनस्पतिकायिकाः पर्याप्तकाः ऊर्वलोकतिर्यग्लोके, अधोलोकतिर्यग्लोके विशेषाधिकाः, तिर्यग्लोके .असंख्येयगुणाः, त्रैलोक्ये असंख्येयगुणाः, ऊर्वलोके असंख्येयगुणाः, अधोलोके विशेषाधिकाः ॥सू०३५॥ र्याप्त ऊर्ध्वलोक-तिर्यग्लोक में हैं (अहोलोयतिरियलोए विसेसाहिया) अधोलोक-तिर्यग्लोक में विशेषाधिक हैं (तिरियलोए असंखेजगुणा) तिर्यग्लोक में असंख्यातगुणा हैं (तेलोक्के असंखेजगुणा) त्रैलोक्य में असंख्यातगुणा हैं (उडलोए असंखेज गुणा) ऊर्ध्वलोक असंख्यातगुणा हैं (अहोलोए विसेसाहिया) अधोलोक में विशेषाधिक हैं।
(खेत्ताणुवाएणं) क्षेत्र के अनुसार (सव्वत्थोवा वणस्सइकाझ्या पज्जत्तया) सब से कम वनस्पतिकायिक पर्याप्त (उडलोयतिरियलोए) अर्चलोक-तिर्यग्लोक में हैं (अहोलोयतिरियलोए विसेसाहिया) अधोलोक-तिर्यक्लोक में विशेषाधिक हैं (तिरियलोए असंखिज्जगुणा) तिर्यक्लोक में असंख्यातगुणा हैं (तेलोक्के असंखेज्जगुणा) त्रैलोक्य में असंख्यातशुणा हैं (उडलोए असंखेज्जगुणा) ऊर्ध्वलोक में असंख्यातगुणा हैं (अहोलोए विसेसाहिया) अधोलोक में विशेषाधिक हैं।
अब पृथ्वीकायिक आदि पांचों एकेन्द्रिय समुच्चय जीवों का तथा पर्याप्तक और अपर्याप्तक भेदों का, यों तीन प्रकार का अल्पसभा छ. (अहोलोयतिरियलोए विसेसाहिया) अपा-
तिमा विशेषाधि छ. (तिरियलोर असंखेज्जगुणा) ति ४॥ अध्यातम छ. (तेलोक्के असंखेज्जगुणा) खाध्यम मसण्यातमा छे. (उड्ढलोए असंखेज्जगुणा) Seqभां यस च्यातमा छ (अहोलोए विसेसाहिया) मधासमा विशेषाधि छे.
(खेत्ताणुवाएणं) क्षेत्रना ४थन प्रमाणे (सव्वत्थोवा वणग्सइकाइया पज्जत्तया) सौथी माछी वनस्पतिय पति (उड्डलोयतिरियलोए) Bus तियसमय छे. (अहोलोयतिरियलोए विसेसाहिया) गधा-तियोमा विशे. पाधि४ छे. (तिरियलोए असंखेज्जगुणा) तिय ४॥ २१सया ! छ. (तेलोक्के असंखेज्जगुणा) सायम अस-यात गए छ. (उड्ढलोए असंखे जगुणो) भी असभ्यात गा छे. (अहोलोए विसेसाहिया) अपातमा विशेषाधि छ. ॥ सू. ३४ ॥
ટીકા--હવે પૃથ્વીકાયિક વિગેરે એકેન્દ્રિય સમુચ્ચય જીવનું તેના