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________________ २०८ प्रक्षापनासूत्रे सर्वस्तोकाः जीवाः मनःपर्यवज्ञानिनः, अवधिज्ञानिनः असंख्येयगुणाः, आभिनियोधिकज्ञानिनः श्रुतज्ञानिनो द्वयेअपि तुल्याः विशेपाधिकाः, केवलज्ञानिनः अनन्तगुणाः, एतेषां खलु भदन्त ! जीवानां मत्यज्ञानिनां श्रुताज्ञानिनां विभङ्गज्ञानिनाञ्च कतरे कतरेभ्योऽल्पा वा, बहुका वा, तुल्या वा, विशेषाधिका वा ? गौतम ! सर्वस्तोकाः जीवाः विभङ्गज्ञानिनः, मत्यज्ञानिनः श्रुताज्ञानिनो द्वयेऽपि तुल्याः अनन्त गुणाः, एतेषां खलु भदन्त ! जीवानाम् आभिनिबहुत, तुल्य या विशेषाधिक हैं ? (गोयमा) हे गौतम ! (सव्वत्थोवा जीवा मणपज्जवनाणी) सबसे कम जीव अनापर्यवज्ञानी हैं (ओहिनाणी असंखेज्जगुणा) अवधिज्ञानी असंख्यातगुणा हैं (आभिणिवोहियनाणी सुधनाणी दोवि तुल्ला विसेसाहिया) आमिनिबोधिक ज्ञानी और श्रुतज्ञानी दोनों तुल्य हैं और अवधिज्ञानियों से विशेषाधिक हैं (केवलनाणी अणंतगुणो (केवलज्ञानी अनन्तगुणा हैं । ' (एएमि णं भंते !) हे भगवन् ! इन (जीवाणं मइअन्नाणीणं) मति अज्ञानी जीवों (सुय अन्नाणीणं) श्रुत-अज्ञानियों (विभंगणाणीण य) और विभंगज्ञानियों में (कयरे कयरेहितो) कौन किससे (अप्पा वा वहया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ?) अल्प, वहत, तुल्य या विशेधिक हैं ?) (गोयमा) हे गौतम ! (मन्चथोवो जीवा विभंगनाणी) विभंगज्ञानी जीव सब से कम हैं (भडअन्नाणी लुथ अन्लाणी दोवि तुल्ला अणंलगुणा) मति-अज्ञानी और शुत अज्ञनी दोनों तुल्य हैं और विभंगज्ञानियों से अनन्नगुणा हैं। ___ (गोयमा ।) ॐ गौतम (सव्यत्सोवा जीवा गणपज्जनाणी) माथी माछ। ७१ मन पवनानी छ (ओहिनाणी अखेज गुणा) अवधि ज्ञानी मस ज्यात गए। छ (आभिणियोहियनाणी सुयनाणी दो वि तुल्ला विसेसाहिया) लिनि. બાધિક જ્ઞાની અને શ્રુતજ્ઞાની બન્ને તુલ્ય છે અને અવધિજ્ઞાનીથી વિશેષાधि छे (केवलनाणी अगतगुणा) अज्ञानी मनन्तमा छे (एसिणं भने ।) ई गवन् । २मा (जीवाणं मइ अन्नाणीण) भतिमज्ञानी ७३ (सुयअन्नाणीगं) श्रुत-मजानीया (विपंगणाणीण य) अने विज्ञानियोमा (कयरे कयरेहि तो) | नाथी (आप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा) २६५, घ, तुक्ष्य मगर विशेषाधि छ । (गोयमा) 3 गौतम । (सव्वयोवा जीवा विभगनाणी) विम ज्ञानी १ यायी माछा छ (मइ अन्नाणी सुय अन्नाणी दो वि तुल्ला अणंत गुणा) मात અજ્ઞાની અને શ્રેન અની બન્ને સરખા છે અને વિભા ગજ્ઞાનિથી અનન્ત ગણું વધારે છે.
SR No.009339
Book TitlePragnapanasutram Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1975
Total Pages1196
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size80 MB
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