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________________ प्रमेयबोधिनी टीका पद ३ सू.१० योगवतामयोगिनां वाल्परडुत्वस् योगद्वारवक्तव्यतामूलम्-एएसि णं भंते ! जीवाणं सजोगीणं मणजोगीणं वइजोगीणं, कायजोगीणं अजोगीण य कयरे कयरेहितो अप्पा वा, बहुया वा, तुल्ला वा, विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वस्थोवा जीवा मणजोगी, वयजोगी असंखेज्जगुणा, अजोगी अणंतगुणा, कायजोगी, अणंतगुणा, सजोगी विसेसाहिया ॥सू०१०॥ ___छाया-एतेषां खलु भदन्त ! जीवानां सयोगिनां मनोयोगिनाम्, 'वचोयोगिनाम्, काययोगिनाम् अयोगिनाञ्च कतरे कतरेभ्योऽल्पा वा, वहुका वा तुल्या वा, विशेषाधिका वा ? गौतम ! सर्वस्तोकाः जीवा मनोयोगिनः, वचोयोगिनः अपर्याप्तक दोनों शामिल हैं, विशेषाधिक हैं ॥८॥ चतुर्थ कायद्वार समाप्त - योगदार वक्तव्यता - शब्दार्थ-(एएसि णं भंते !) हे भगवन् ! इन (जीवाणं) जीवों के (सजोगीणं) योग सहितों के (मणजोगीणं) मनोयोग वालों के (वइजोगीणं) वचनयोगियों के (कायजोगीण) काययोग वालों के (अजोगीण य) और अयोगियों के मध्य में (कयरे कयरेहितो) कौन किससे (अप्पा वा. बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ?) अल्प, बहुत, तुल्य या विशेषाधिक हैं ? (गोयमा) हे गौतम ! (सम्वत्थोवा जीवा मणजोगी) सब से कम जीव मन योगवाले हैं (वयजोगी असंखेजगुणा) वचन योग वाले असंख्यातगुणा हैं (अजोगी अणंतगुणा) અને અપર્યાપ્ત બનેને સમાવેશ છે, તે વિશેષાધિક છે. ૧૮ ચોથું કાયદ્વાર સમાપ્ત ગદ્વાર વક્તવ્યતા माथ-(एएसिणं भंते ।) सन् २॥ (जीवाणं) ७वाना (सजोगीणं) यो सहिता (मणजोगीण) मनायागवाजाना (वइजोगीणं) qयन योनियोना (कायजोगीण) य योग वान (अजोगीण य) मने मयोगियाना मध्यमां (कयरे कयरेहिंतो) नाथी (अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा) म६५, धा, तुझ्य २२ विशेषाधि४ छ ? . (गोयमा) हु गौतम । (सव्वत्थोवा जीवा मणजोगी) माथी माछा 54 भन योग पाछे (वयजोगी असंखेज्जगुणा) वयन योगवा मध्यात
SR No.009339
Book TitlePragnapanasutram Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1975
Total Pages1196
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size80 MB
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