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प्रज्ञापनासूत्रे
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विशेषाधिकाः, बादराः विशेषाधिकाः, सूक्ष्मवनस्पतिकायिकाः अपर्याप्तकाः असंख्येयगुणाः, सूक्ष्मापर्याप्तकाः विशेषाधिकाः, सूक्ष्मवनस्पतिकायिकाः पर्याशकाः संख्येयगुणाः, सूक्ष्मपर्याप्तकाः विशेपाधिकाः सूक्ष्मा विशेषाधिकाः, द्वारम् ॥ ०९॥
टीका - अथ सूक्ष्मपृथिवीकायिकवादपृथिवी कायिकादीनां प्रत्येकं पर्याप्तापर्याप्तकानां समुदायेनाल्पबहुत्वादिकमाह - 'एएसि णं भंते! सुहुमपुढवीकाइयाणं' गौतमः पृच्छति - हे भदन्त । एतेपां खलु सूक्ष्मपृथिवीकायिकानां 'वायरपुद वि काइयाणय' वादरपृथिवीकायिकानाञ्च ' पज्जतापज्जत्ताणं ' पर्याप्तापर्याप्तकानां मध्ये ' कयरे करेहिंतो ' कतरे कतरेभ्यः ' अप्पा वा, बहुया वा, तुल्ला वा, असंखेज्जगुणा) बादर वनस्पतिकाय के अपर्याप्त असंख्यातगुणा है। ( बार अपज्जत्तया विसेसाहिया) बादर अपर्याप्तक विशेषाधिक हैं (बायरा विसे साहिया) चादर विशेषाधिक हैं ( सुहुम वणस्सइकाइया अपज्जत्तया असंखेज्जगुणा ) सूक्ष्म वनस्पतिकायिक अपर्याप्त असंख्यातगुणा हैं ( हुम अपज्जत्तया विसेसाहिया) सूक्ष्म अपर्याप्तक विशेषाधिक हैं ( सुहुम वणस्सइकाइया पज्जत्तया संखेज्जगुणा ) सूक्ष्म वनस्पतिकायिक पर्याप्त संख्यातगुणा हैं (सुहुम पज्जत्तया विसेसाहिया) सूक्ष्मं पर्याप्तक विशेषाधिक हैं ( सुहमा बिसेसाहिया) सूक्ष्म जीव विशेषाधिक हैं | ॥७॥
टीकार्थ-अ -अब सूक्ष्म पृथ्वीकायिक एवं वादर पृथ्वीकायिक आदि के, प्रत्येक के समुदाय रूप से अल्पबहुत्व का प्रतिपादन करते हैंश्री गौतम स्वामी प्रश्न करते हैं - हे भगवन् ! इन सूक्ष्म पृथ्वीकायिकों और बादर पृथ्वीकायिकों के पर्याप्तकों और अपर्याप्तकों छे (वायरवणस्सइकाइया अपज्जत्तया असंखेज्जगुणा ) माहर वनस्पतिडायना अपर्याप्त असण्यात छे (वायर अपज्जत्तया विसेसाहिया) बाहर अपर्याप्त विशेषाधि छे (वायरा विसेसाहिया) बाहर विशेषाधि छे (सुहुमत्रणस्स इकाइया अपज्जत्तया असंखेज्जगुणा) सूक्ष्म वनस्पतियि अपर्याप्त असण्यातगछे (सुहुमअपज्जत्तया षिसेसाहिया) सूक्ष्म अपर्याप्त विशेषाधि छे (सुहुमवणस्स इकाइया पज्जत्तया संखेज्जगुणा) सूक्ष्म वनस्पति अयि पर्यास सभ्यातगाया छे (सुहुमपज्जतया बिसेसाहिया) सूक्ष्भ पर्यास विशेषाधि हे (सुहुमा विसेसाहिया) सूक्ष्म व વિશેષાધિક છે. શા
ટીકા-હવે સૂક્ષ્મ પૃથ્વીકાયિક તેમજ ખાદર પૃથ્વીકાયિક આદિના પ્રત્યેકના સમુદાયરૂપથી અલ્પ મર્હુત્વનું પ્રતિપાદન કરે છે—
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શ્રીગૌતમસ્વામી પ્રશ્ન કરે છે-હે ભગવન્ ! આ સૂક્ષ્મ પૃથ્વીકાયિકા અને ખાતર પૃથ્વીકાયિકાના પર્યાસ અને અપર્યાપ્તકામાં કાણુ કોનાથી આછા,