SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 196
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ' प्रमापना असंख्येयगुणाः, वादरवायुकायिकाः पर्याप्तकाः असंख्येयगुणाः;' वादरतेजःकायिकाः अपर्याप्तकाः असंख्येयगुणाः, प्रत्येकशरीरवादरवनस्पतिकायिकाः अपर्याप्तकाः असंख्येयगुणाः, वादर निगोदाः अपर्याप्तकाः असंख्येयगुणाः,. वादर पृथिवीकायिकाः अपर्याप्तकाः असंख्येयगुणाः, वादराप्कायिकाः अप: र्याप्तकाः असंख्येयगुणाः बादरवायुकायिका अपर्याप्तका, असंख्येयगुणाः सूक्ष्म तेजःकायिकाः अपर्याप्तकाः असंख्येयगुणाः, सूक्ष्म पृथिवीकायिकाः अपगुणा हैं (बायर निगोया पजत्तया असंखेज्जगुणा) वादर निगोद के पर्याप्तक असंख्यातगुणा हैं (बायर पुढवीकाइया पज्जत्तया असंखेज्जगुणा) बादर पृथ्वीकाय के पर्याप्तक असंख्यात गुणा हैं (वायर आउकाइया पज्जत्तया असंखेज्जगुणा) बादर अप्काय के पर्याप्त असंख्यातगुणा हैं (बायर बाउकाइया पज्जत्तया असंखेजगुणा) बादर वायुकाय के पर्याप्तक असंख्यातगुणा हैं (वायर तेउकाड्या अपज्जत्तया असंखेज्जगुणा) बादर तेजस्काय के अपर्याप्त असंख्यात गुणा हैं (पत्तेयसरीरबायरवणस्सइकाइया अपज्जत्तया असंखेज्जगुणा) प्रत्येक शरीर बादर वनस्पतिकायिक अपर्याप्त असंख्यात गुणा हैं (बायर निगोया अपज्जत्तया असंखेज्जगुणा) वादर निगोद के अपप्तिक असंख्यात गुणा हैं (बायर पुढवीकाझ्या अपज्जत्तया असंखे ज्जगुणा) बाद पृथिवीकायिक अपर्याप्त असंख्यात गुणा हैं (बायर आउकाइया अपज्जत्तया असंखेज्जगुणा) बादर अप्कायिक अपर्याप्त असंख्यातगुणा हैं (वायर बाउकाइया अपज्जत्तया असंखेज्जगुणा) वादर वायुकायिक अपर्याप्त असंख्यातगुणा हैं (सुहुम तेउकाइया अपज्जत्तया असंखेज्जगुणा) सूक्ष्म तेजस्कायिक अपर्याप्त असंख्यात पर्याप्त असण्यात छ. (बायरआउकाइया पज्जत्तया असंखेज्जगुणा) मा४२ सायना पर्याप्त मसण्यातम छे. (वायरवाउकाइया पज्जत्तया असंखेज्ज. गुणा) माहेश्यायु४ायन यात २मध्यातगा छे. (वायरतेउकोइया अपज्जत्तया असंखेज्जगणा) मारते४२४ायना मर्यास्त. ज्यातगया छे. (पत्तेयसरीरवायरवणस्सइकाइया अपजत्तया असंखेज्जगुणा) प्रत्ये४ शरी२ ॥४२ वनस्पतिथि अ५यति असभ्यात छे (बायर निगोया अपज्जत्तया असंखेज्जगुणा) निगोहना अपर्याप्त मसभ्यात छे (वायरपुढवीकाइया अपज्जत्तया असंखेज्जगुणा) मा६२ पृथ्वीय अपर्याप्त असण्यातमा छ (वायरआउकाइया अपज्जत्तया असंखेज्जगुणा) माह२ मयि मर्याप्त मस ध्यातमा छ (वायदवाउकाइया अपज्जत्तया' असंखेज्जगुणा) मा१२ वायुायि अपर्याप्त असण्यातमा छ. (सुहमतेउकाइया अपज्जत्तया असंखेज्जगुणा) सूक्ष्म २४ायि: मर्यात मसण्यात छे (सहुम-.
SR No.009339
Book TitlePragnapanasutram Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1975
Total Pages1196
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size80 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy