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________________ प्रेमैययोधिनी टीका पद ३ सू.८ सूक्ष्मवादरजीवाल्पवहुत्वम् पर्याप्तकानां, सूक्ष्मतेजःकायिकपर्याप्तकानाम्, सूक्ष्मवायुकायिकपर्याप्तकानां, सूक्ष्मवनस्पतिकायिकपर्याप्तकानास, सूक्ष्मनिगोदपर्याप्तकानां, वादरपर्याप्तकानाम्, वादरपृथिवीकायिकपर्याप्तकानाम, वादरामायिकपर्याप्तकानाम्, वादरतेजाकायिकपर्याप्तकानाम्, बादरवायुकायिकपर्याप्तकानां, वादरवनस्पतिकायिकपर्याप्तकानां, प्रत्येकशरीरवादरवनस्पतिकायिकपर्याप्तकानां, वादरनिगोदपर्याप्तकानां, वादरत्रसकायिकपर्याप्तकानां च कतरे कतरेभ्योऽल्पा वा, बहुका वा, __(एएसि णं भंते !) हे भगवन् ! इन (सुहुम पज्जत्तयाणं) सूक्ष्म पर्याप्तकों (सुहुम पुढवीकाइय पज्जत्तयाण) सूक्ष्म पृथ्वोकायिक पर्यासकों (सुहुम आउकाइय पज्जत्तयाणं) सूक्ष्म अप्काय पर्याप्तकों (सुहुम तेउकाइय पज्जत्तयाणं) सूक्ष्म तेजाकायिक पर्याप्तकों (सुहम वाउकाइय पज्जतयाण) सूक्ष्म नायुकायिक पर्याप्तकों (सुहम वणस्सइकाइय पज्जत्तयाणं) सूक्ष्म बनस्पतिकाधिक पर्याप्तों (सुहम निगोय पज्जत्तयाणं) सूक्ष्म लिगोद पर्याप्तकों (बायर पज्जत्तयाणं) बादर पर्यासकों (बायर पुढवीकाइय पज्जत्तयाणं) बाद पृथ्वीकायिक पर्याप्तकों (बायर आउकाइय पज्जत्तयाणं) बादर अप्कायिक पर्याप्तकों (बायर तेउकाइय पज्जत्तयाणं) बादर तेजस्काधिक पर्याप्तकों (वायर बाउकाइय पज्जत्तयाणं) बादर वायुकायिक पर्याप्तकों (बायर वणस्सइकाइय पज्जत्तयाणं) बादर वनस्पतिकायिक पर्याप्तकों (पत्तेयसरीर वादरवणातइकाइय पज्जतयागं) प्रत्येक शरीर बादर वनस्पतिकायिक पर्याप्तकों (बायर निगोय पज्जत्तयाणं) बादर निगोद के पर्यासकों (बायर तसकाइय पज्जत्तयाण य) और बादर सकाय के पर्या (एएसि णं भंते ।) समवन् । २॥ (सहुमपज्जत्तयाणं) सूक्ष्म पर्या। (सुहुमपुढवीकाइय पज्जत्ताणं) सूक्ष्म पृथ्वीय पर्यास (सुहुम आउकाइया पज्जत्ताणं) सूक्ष्म मयि पर्यास (सुहुमतेउकाइय पज्जत्तयाणं) सूक्ष्म ते४ायि पयोती (सुहुमबाउकाइया पज्जत्तयाण) सूक्ष्म वायुशाय४ पर्याप्त। (सुहुमवणस्सइकाइयपज्जत्तयाण) सूक्ष्म वनस्पतिय पर्यात (सुहुमनिगोयपज्जत्तयाणं) सूक्ष्म निगाई पाल। (वायरपज्जत्तयाण) ॥४२ पर्याप्त। (बाथरपुढविकाइयपज्जत्तयाण) ॥६२ वीयि पर्यास (वायरआउकाइयपज्जत्तयाण) मा४२ २५४५४ पर्याप्त (वायरते उकाइयपज्जत्तयोणं) मा ४२४ायि पतिओ (वायरवाउकाइयपज्जत्तयाण) मा४२ वायु४ि पर्या(वायरवणस्सइकाइय पज्जत्तयाणं) मा६२ ५४२५तिथि: ५र्यात (पत्तेयसरीवायरवणस्सइकाइयपज्जत्तयाण) प्रत्ये शरीर मा४२ वनपतिय पति (बाचरनिगोयपज्जत्तयाण) मा६२ निगोहना पति (वायरतसकाइयपजत्तयाण य) मने पा४२ २सयन र्यामा (कयरे कयरे
SR No.009339
Book TitlePragnapanasutram Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1975
Total Pages1196
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size80 MB
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