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________________ प्रमेययोधिनी टीका पद ३ सू.८ सूक्ष्मवादरजीवाल्पवहुत्वम् अपर्याप्तकानाम्, बादरत्रसकाचिकानाम् अपर्याप्तमानाश्च कतरे कतरेभ्यः अल्पा वा, बहुका वा, तुल्या वा, विशेषाधिका वा ? गौतम ! सर्वस्तोकाः वादरत्रसकायिकाः अपर्याप्तकाः, वादनतेजाकायिकाः अपर्याप्तकाः असंख्येयगुणाः, प्रत्येकशरीरवादरवनस्पतिकाथिका अपर्याप्तकाः असंख्येयगुणाः, बादर निगोदाः अपर्याप्तकाः असंख्येयगुणाः, बादरपृथिवीकायिकाः अपर्याप्तकाः असंख्येयगुणाः, वादराकायिका अपर्याप्तकाः असंख्येयगुणाः, वादरवायुका(पत्तयसरीर वायरचणस्तइकाइयाणं अपज्जत्तयाण) प्रत्येक शरीर बादर वनस्पतिकाधिक अपर्याप्तों (बायर निगोयाणं अपज्जत्तयाणं) बादर निगोद के अपर्याप्तों (वायर तसकाइयाणं अपज्जत्तयाणं) पादर उसकाय के अपर्याप्तों में से (कचरे कयरेहितों) कौन किससे (अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ?) अल्प, बहुत, तुल्य अथवा विशेषाधिक हैं? (गोयमा!) हे गौतम! (सव्वत्थोवा बायरतसकाइया) सब से कम बादरवसकायिक (अपजत्तया) अपर्याप्तक हैं (बायरतेउकाइया अपज्जत्तया असंखेजगुणा) चादरतेजस्कायिक अपर्याप्त असंख्यातगुणा हैं (पत्तयसरीर बायरवणस्सइकाइया अपजत्तया असंखेजगुणा) प्रत्येक शरीर बादरवनस्पतिकायिक अपर्याप्तक असंख्यातगुणा हैं (बायरनिगोया अपज्जत्तया असंखेज्जगुणा) वादरनिगोद अपर्याप्त असंख्यातगुणा हैं (बायर पुढवीकाइया अपज्जात्तथा असंखेजगुणा) बादर पृथ्वी कायिक अपर्याप्त असंख्यातगुणा हैं (शायर आउकाइया अपजत्तया असंखेजवनस्पतियन मर्याता (पत्तयसरीरवायरवणस्सइकाइयाणं अपज्जत्तयाणं) प्रत्ये: शरी२ मा४२ वनस्पतिथि: २५पर्याप्तो (वायरनिगोयाणं अपज्जत्तयाणं) ६२ निगाहना २५पर्याप्तो (वायरतसकाइयाणं अपज्जत्तयाण) मा२ सायना २५५/सोमांथी (कयरे कयरेहितो) 3 जोनाथी (अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा) १८५, घा, तुक्ष्य मथवा मधि छ ? । (गोयमा ) 3 गौतम ! (सव्वत्थोवा वायरतसकाइका) धाथी माछा मार सायि: (अपज्जत्तया) अपर्यास छ (वायरतेउकाइया अपज्जत्तया असंखेजगुणा) ॥६२ ते२४२४यि अपर्याप्त मज्यातमा छ (पत्तेयसरीरवायरवणस्सइकाइयाअपज्जत्तया असंखेज्जगुणा) प्रत्ये४ शरी२ ॥६२ वनस्पतिथि: २५४४ असभ्यातमा छ (वायरनिगोया अपज्जत्तया असंखेजगुणा) २ निगाह २५पर्याप्त असभ्यातगए। छे (वायरपुढवीकाइया अपज्जत्तया असंखेज्जगुणा) पृथ्वीयि" मपास २१सयातमा छ (वायरआउकाइया अपज्जत्तया असंखेजगुणा) माह प्र०२०
SR No.009339
Book TitlePragnapanasutram Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1975
Total Pages1196
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size80 MB
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