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________________ प्रज्ञापनासूत्रे गुणाः, मुक्ष्मा विशेषाधिकाः, एतेषां खलु भदन्त ! सूक्ष्मापर्याप्तकानां, सूक्ष्मपृथिवीकायिकानाम् अपर्याप्तकानाम्, सूक्ष्मा कायिकानाम् अपर्याप्तकानाम्, सूक्ष्म तेजःकायिकानाम् अपर्याप्सकानाम् सूक्ष्मवायुकायिकानाम् अपर्याप्तकानाम, सूक्ष्म वनस्पतिकायिकानाम् अपर्याप्तकानाम्, सूक्ष्मनिगोदानाम् अपर्याप्तकानाम्, वादरापर्याप्तकानाम्, वादरपृथिवीकायिकानाम् अपर्याप्तकानाम्, बादराकायिकानाम् अपर्याप्त कानाम्, वादरतेजाकायिकानाम् अपर्याप्तकानाम्, वादरवायुकायिकानाम् अपर्याप्तकानाम्, वादरवनस्पतिकायिकानाम् अपर्याप्तकानाम्, प्रत्येकशरीर बादखनस्पति कायिकानाम् अपर्याप्तकानां वादरनिगोहानाम् (एएसि णं भंते !) हे भगवन् ! इन (उतुम अपज्जत्तयाण) सूक्ष्म जीवों के अपर्याप्तों (सुहुम पुढवीकाइयाणं अपज्जत्तयाणं) सूक्ष्म पृथ्वीकाय के अपर्याप्ती (सुहम आउकाइया अपज्जत्तयाण) सूक्ष्म अप्काय के अपर्याप्तों (सुहुम तेउकाझ्याणं अपत्तज्जत्तयाण) सूक्ष्म तेजस्कायिक अपर्याप्तों (सुहुम वाउकाझ्याणं अपज्जन्तयाण) शक्ष्म वायुकायिक अपर्याप्तों (सहुम वस्तइकाइयाणं अपज्जत्तयाणं) सूक्ष्म वनस्पतिकायिक अपर्याप्तों (मुहल निगोयाणं अपज्जत्तयाण) सूक्ष्म निगोद के अपर्याप्तों (शायर अपज्जत्तगणं) वादर अपर्याप्तों (वायर पुढवीकाइयाणं अपज्जत्तयाणं) वादर पृथ्वीशाय के अपर्याप्तों (वायर आउकाइयाणं अपज्जत्तयाण) चादर अप्काय के अपर्याप्तों (वायर तेउकाइयाणं अपज्जत्तयाण) बादर तेजस्कायिक के अपर्याप्तों (वायर चाउकाइयाणं अपज्जत्तयाणं) बादर वायकाय के अपर्याप्तों (वायर, वणस्सइकाइयाणं अपज्जत्तयाणं) दादर वनस्पतिकाय के अपर्याप्तों मसभ्यातमा छ (सहुम विसेसाहिया) सूक्ष्म व विशेषाधि छ. (एएसि णं भते ) भगवन् । २ (सुहुमअपज्जत्तयाणं) सूक्ष्म वोना अपर्या स? (सहुमपुढीवकाइयाणं अपञ्जत्तयाणं) सूक्ष्म पृथ्वी जयन। अपर्याप्त। (सहुम आउकाइयाणं अपज्जत्तयाणं) सूक्ष्म १४ाया मर्यात (सुहुमतेउकाइयाणं अपजत्तयाण) सूक्ष्म ते२४ायना अपर्यापी (सहुमवाउकाइयाणं अपज्जत्तयाणं) सूक्ष्म पायुय४ अपर्यापी (सुहुमवणस्सइकाइयाणं अपज्जत्तयाणं) सूदभवनस्पतिथि: अपर्यायी (सहुमनिगोयाणं अपज्जत्तपाण) सूक्ष्म निगाहना २५पर्याप्ती (वायरअपज्जत्तयाण) मा६२ अपर्याप्ती (बोदरपुढवीकाइयाणं अपज्जत्तयाणं) पृथ्वीजयना अपर्याप्ती (वायरआउकाइयाणं अपज्जत्तयाणं) २ नायना अपर्याप्तो (वायरतेउकाइयाणं अपज्जत्तयाण) मारते४२४यिनामपर्याप्ती (वायरवाउकाइयाण अपज्जत्तयाण) मा६२ वायुश्यना अपर्याप्ती (वायरवणरसइकाइयाणं अपज्जत्तयाण) माह२
SR No.009339
Book TitlePragnapanasutram Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1975
Total Pages1196
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size80 MB
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