SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 165
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ trafat टीका पद ३ सू८ सूक्ष्मवादरजीवाल्पबहुत्वम् ૐ १४७ अपज्जत्तया विसेसाहिया' वादरा : सामान्येन अपर्याप्तकाः विशेषाधिका भवन्ति वादरतेजः कायिकादीनामपि अपर्याप्तानां तत्र समावेशात्, तेभ्योऽपि 'वायरा विसेसाहिया' वादराः समुच्चयवादरजीवाः पर्याप्तापर्याप्त विशेषणरहिता विशेषाधिका भवन्ति वादरपर्याप्त तेजःकायिकादीनामपि तत्र समावेशात् इत्याशयः ॥ ०७ ॥ सूक्ष्मबादर समुदायाल्पबहुत्व वक्तव्यता मूलम् - एएसि णं भंते! सुहुमाणं सुहुमपुढविकाइयाणं सुहुम आउकाइयाणं सुहुमबादरते उकाइयाणं, सुहुमवाउकाइयाणं; सुमवणस्सइकाइयाणं सुहमनिगोयाणं, बायराणं बादरपुढवीकाइयाणं बायरआउकाइयाणं बायरतेङकाइयाणं वायरवाउकाइयाणं वायरवणस्सइकाइयाणं पत्तेयसरीरबायरवणस्सइ. काइयाणं बायरनिगोयाणं तसकाइयाण य कयरे कयरेहिंतो अप्पा वा, बहुया वा, तुहा वा, विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सवत्थोवा बायरतसकाइया बायर उकाइया असंखेज्जर्गुणा, पत्तेयसरीरवादरवणस्सइकाइया असंखेज्जगुणा, वायरनिगोया असंखेज्जगुणा, बायरपुढंवीकाइया असंखेज्जगुणा, बादरआउकाइया असंखेज्जगुणा, बायरवाउकाइया असंखेज्जगुणा, सुहुमतेउकाइया असंखेज्जगुणा, सुहुमपुढवीकाइया विसेसाहिया, सुहुम आउकाइया विसेसाहिया, सुहुमवाउकाइया विसेसाहिया, सुहुमनिगोया असंखेज्जगुणा, वायरवणस्सइकाइया अनंतगुणा, वायरा विसेसाहिया, सुहुभवणस्सइकाइया असंगुणा हैं और उनसे बादर अपर्याप्त विशेषाधिक हैं, क्योंकि इनमें चादर तेजस्कायिक अपर्याप्त आदि का भी समावेश हो जाता है । पर्याप्त और अपर्याप्त जिन में सम्मिलित हैं ऐसे सामान्य बादर जीव उनसे भी विशेषाधिक हैं ॥७॥ ધિક છે, કેમકે તેએમાં ખાદર તેજસ્કાયિક અપર્યાપ્ત આદિને પણ સમાવેશ થઇ જાય છે, પર્યાપ્ત અને અપર્યાપ્ત જેએમા સંમિલિત છે, એવા સામાન્ય બાદર છવ તેમનાથી પણ વિશેષાધિક છે ॥ ૭ ॥
SR No.009339
Book TitlePragnapanasutram Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1975
Total Pages1196
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size80 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy