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________________ प्रशापनाचे १२४ अनन्तगुणाः वादरपर्याप्तकाः विशेषाधिकाः, एतेषां खलु भदन्त ! वादराणाम् पर्याप्तापर्याप्तकानां कतरे कतरेभ्योऽल्पा चा, बहुका वा, तुल्या वा, विशेषा. 'धिका वा ? गौतम ! सर्वस्तोकाः वादरपर्याप्तकाः, वादरापर्याप्तकाः असंख्येयगुणाः, एतेषां खलु भदन्त ! वादरपृथिवीकायिकानां पर्याप्तापर्याप्तकानां कवरे कतरेभ्योऽल्पा वा, बहुका वा, तुल्या वा, विशेषाधिका वा ? गौतम ! सर्वस्तोकाः गुणा) वादर अप्कायिक पर्याप्तक असंख्यातगुणा हैं (वायरवाउका झ्या पज्जत्तया असंखेज्जगुणा) बादर वायुकायिक पर्याप्त असंख्यात -गुणा हैं (बायरवणस्सइकाइया पज्जत्तया अणंतगुणा) बादर वनस्पतिकायिक पर्याप्त अनन्तगुणा हैं (वायरपज्जत्तया विसेसाहिया) बादर पर्याप्तक विशेषाधिक हैं। (एएसि णं भंते !) हे भगवन् ! इन (बादराणं पजत्तापल्लत्ताणं) बादर पर्याप्तों और अपर्याप्तों में (कयरे कयरेहितो) कौन किससे (अप्पा वा बहुया चा तुल्ला वा विसेसाह्यिा वा ?) अल्प, यहुत, तुल्य या विशेपाधिक हैं ? (गोयमा !) हे गौतम ! (सव्वत्थोवा वायरपज्जत्तया) सय से कम यादर पर्याप्त हैं (वायर अपज्जत्तया असंखेज्जगुणा) चादर अपर्याप्त असंख्यातगुणा हैं । (एएसि णं भंते !) हे भगवन् ! इन (यायरपुढविकाइयाणं पज्जत्तापज्जत्तार्ण) वादर पृथ्वीकाय के पर्याप्तों और अपर्याप्त में से (कयरे कयरेहिंतो) कौन किससे (अप्पा वा वरया अयि पर्याप्त मध्यातमा छ (बायर वाउकाइया पज्जत्तया असंखेजगुणा) मा१२ वायुायि ५योत मसच्यातमा छ (वायर वणस्सइकाइया पज्जत्तया अणंतगुणा) ॥६२ वनस्पतिय पर्याप्त मनता छ (वायर पज्जत्तया विसेसाहिया) मा६२ प्रर्याप्त विशेषाधि छे. (एएसि णं भंते । भगवन ! म (वायरराणं पज्जत्ता पज्जत्ताणं) ॥६२५र्याप्ती अपर्याप्तीभा (कयरे कयरेहिंतो) y अनाथी (अप्पा वा वहुया वा, तुल्ला वा विसेसाहिया वा ?) २८५, ५, तुल्य २१२ विशेषाधित छ ? (गोयमा !) गौतम । (सव्वत्थोवा वायरपज्जत्तया) माथी माछा मार पास छ (बायर अपज्जत्तया असंखेज्जगुणा) मा६२ अर्यात असभ्यात छे. । (एएसि णं भंते ) भगवन् ! (बायर पुढविकाइयाणं पज्जत्तापज्जत्ताणं) 'RE२ ५वीय पर्यासो भने अपर्याप्तीमांथा '(कयरे कयरेहितो) अय 'नाथी (अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा) अ६५, घा, तुझ्य अथवा विशेषाधि छ.
SR No.009339
Book TitlePragnapanasutram Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1975
Total Pages1196
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size80 MB
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