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________________ प्रमेयवोधिती टीका पद ३ सू.६ सूक्ष्मवादरकायद्वारनिरूपणम् विशेषाधिकाः, सूक्ष्मतेजस्कायिका अपर्याप्तकाः संख्येयगुणाः, सूक्ष्मपृथिवीयायिकाः पर्याप्तकाः विशेषाधिकाः, सूक्ष्मा कायिकाः पर्याप्तकाः विशेषाधिकाः सूक्ष्म वायुकायिकाः पर्याप्तकाः विशेषाधिकाः, सूक्ष्मनिगोदाः अपर्याप्तकाः असंख्येयगुणाः, सूक्ष्मनिगोदाः पर्याप्तकाः संख्येयगुणाः, सूक्ष्म वनस्पतिकायिकाः अपर्याप्तकाः अनन्तगुणाः, सूक्ष्माः, अपर्याप्तकाः विशेषाधिकाः, सूक्ष्मवनस्पतिकायिकाः पर्याप्तकाः संख्येयगुणाः, सूक्ष्माः पर्याप्तकाः विशेपाधिकाः, सूक्ष्माः विशेषाधिकाः ॥सू० ६॥ विसेसाहिया) सूक्ष्म वायुकायिक अपर्याप्त विशेषाधिक हैं (सुहम तेउकाइया पज्जत्तया संखेज्जगुणा) सूक्ष्म तेजस्कायिक पर्याप्त संख्यातगुणा हैं (सुहुम पुढविकाइय पज्जत्तया विसेसाहिया) मून पृथिवीकायिक पर्याप्त विशेषाधिक हैं (सुहुम आउकाइया पज्जत्तया विसेसाहिया) सूक्ष्म अप्कायिक पर्याप्त विशेषाधिक हैं (सुहुम वाउकाइया पज्जत्तगा विसेसाहिया) सूक्ष्म वायुकायिक पर्यास विशेषाधिक हैं । (सुहम निगोदा अपज्जत्तगा असंखेज्जगुणा) सक्षम निगोद अपर्याप्त असंख्यातगुणा हैं (सुहुम निगोदा पज्जत्तया संखेज्जगुणा) सक्षम निगोद पर्याप्तक संख्यातगुणा हैं (सुहुम वणस्सइकाइया अपज्जत्तगा अर्णतगुणा) सूक्ष्म वनस्पतिकाइक अपर्याप्त अनन्तगुणा हैं (सुहम अपज्जत्तया विसेसाहिया) सक्ष्म अपर्याप्त विशेषाधिक हैं (सुहुम वणस्सइकाइया पज्जत्तगा संखेज्जगुणा) सक्षम बनमतिकायिक पर्याप्त संख्यातगुणा हैं (सुहुम पज्जत्तगा विसेसाहिया) सक्षम पर्याप्तक विशेत्तगा विसेसाहिया) सूक्ष्म १५४५४ २५५र्यात विशेषाधि४ छ (सुहुम वाउकाइयां अपज्जत्तगा विसेसाहिया) सूक्ष्म वायुयि४ २५५र्यात विशेषाथि छ (सुहुम (तेउकोइया पज्जत्तगा संखेनगुणा) सूक्ष्म ४२४ाय पति सभ्याता छ (सुहुम पुढविकाइया पज्जत्तया विसेसाहिया) सूक्ष्म वीयि पर्याप्त विशेपाधि छे. (सुहुम आउकाइया पज्जत्तया विसेसाहिया) सूक्ष्म २५. ४४ पर्या (पशा४ि छ (सुहमवाउकाइयापज्जत्तयो विसेसाहिया) सूक्ष्मवायु४ि पर्याप्त (पशपाधि छ सुहम निगोदा अपज्जत्तगा असंखेज्जगुणा) सूक्ष्म निगा सपर्यात मसण्यातमा छ (सुहम निगोदा पज्जत्तया संखेज्जगुणा) सक्ष्म निगा र्यात सण्यातमा छ (सहम वणस्सइकाइया अपज्जत्तगा अणंतगुणा) सूक्ष्म वनस्पतिआय:२५र्याप्त मनन्तगाएछ (सुटुम अपज्जत्तया विसेसाहिया) सूक्ष्म अपर्याप्त (पशपाधि४ छ (सहम वणरसइकाइया पन्जत्तगा सखेजगुणा) सूक्ष्म पनापति य४ पर्यास यात छे (सुदुम पज्जतगा विसेमाहिया) सूक्ष्म पर्याप्त
SR No.009339
Book TitlePragnapanasutram Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1975
Total Pages1196
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size80 MB
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