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________________ प्रमेयबोधिनी टीका पद ३ सू.६ सूक्ष्मयादरकाथद्वारनिरूपणम् ९७ प्तकाः, सूक्ष्मपृथिवीकायिकाऽपर्याप्तकाः विशेषाधिकाः, सूक्ष्माप्कायिकाऽपर्याप्तका विशेषाधिकाः, सूक्ष्मवायुकायिकाऽपर्याप्तका विशेषाधिकाः, सूक्ष्मनिगोदाउपर्याप्तका असंख्येयगुणाः, सूक्ष्मवनस्पतिकायिकाऽपर्याप्तका अनन्तगुणाः, सूक्ष्माः अपर्याप्तका विशेषाधिकाः, एतेषां खलु भदन्त ! सूक्ष्मपर्याप्तकानां. सूक्ष्मपृथिवीकायिकानां पर्याप्तकानाम् , सूक्ष्माकायिकानां पर्याप्तकानां, सूक्ष्म तेजस्कायिकानां पर्याप्तकानाम् सूक्ष्मवायुकायिकानां पर्याप्तकानां, सूक्ष्मवनस्पतिकायिकानां पर्याप्तकानां, सूक्ष्मनिगोदपर्याप्तकानाञ्च कतरे कतरेभ्योऽल्पा अल्प, बहुत, तुल्य या विशेषाधिक हैं ? (गोयमा) हे गौतम (सव्वत्थोवा सुहम तेउकाइय अपज्जत्तया) सब से अल्प सूक्ष्म तेजस्कायिक के अपर्याप्त हैं (सुहुम पुढविकाइय अपज्जत्तया विसेसाहिया) सूक्ष्म पृथिवीकाय के अपर्याप्त विशेषाधिक हैं (सुहुम आउकाइया अपज्जत्तया विसेसाहिया) सूक्ष्म अपकाय के अपर्यास विशेषाधिक हैं (सुहम वाउकाइया अपज्जतया विसेसाहिया) सूक्ष्म वायुकायिक अपर्याप्त विशेषाधिक हैं (सुहम निगोदा अपज्जत्तया असंखेज्जगुणा) सूक्ष्म निगोद के अपर्याप्त असंख्यात गुणा हैं (सुहुम वणस्लइकाइया अपज्जत्तया अणंतगुणा) सूक्ष्म वनस्पतिकायिक अपर्याप्त अनन्त गुणा हैं (सुहमा अपज्जत्तया विसेसाहिया) सूक्ष्म अपर्याप्त विशेषाधिक हैं। (एएसि गं अंते !) हे भगवन् । इन (सुहुल पज्जत्तयाणं) सक्षम पर्याप्त (सुहुन पुढविकाइयाणं पज्जताणं) सूक्ष्म पृथिवीकाधिक पर्याप्त (सुहुम आउफाझ्याणं पज्जत्ताणं) सूक्ष्म अप्कायिक पर्याप्त (सुहम तेउकाइयाणं पज्जत्ताणं) सूक्ष्म तेजस्कायिक पर्याप्त (सुहुम वाउकाविशेषाथि छ १ (गोपमा 1 ) 3 गीतम ! सव्वत्थोवा सुहम तेउकाइया अपज्जत्तया) सोथी छ। सूक्ष्म ते०४२४ायना मर्याप्त छ (सुहुम पुढविकाइय अपज्जया विसेसा. हिया) सूक्ष्म पृथ्वीजयन। २५५र्याप्त विशेषाधि छ (सुहुम आउकाइया अपज्जत्तया विसेसाहिया) सूक्ष्म १४ायना अपर्याप्त विशेषाधि४ छ (सुहुम वाउकाइया अपज्जत्तया विसेस हिया) सूक्ष्म वायुय५ अपर्याप्त विशेषाधि४ छ (सहुम निगोदा अपज्जत्तया असंखेजगुणा) सूक्ष्म नि २५ २५-यात । छ (सुहुम वणम्सइकाइया अपज्जत्तया अगंतगुणा) सुक्ष्म वनस्पतिय २५र्यास मनात छे (सुहमा अपजत्तया विसेसाहिया) सूक्ष्म अपर्याप्त विशेषाधि छ (एएसिणं भंते) मगवन् । 21 (सहुम पज्जत्तयाणं) सूक्ष्म पर्यात (सुहम पुढविकइयाणं पज्जत्ताणं) सूक्ष्म पृथ्वी४।५४ ५ति (सुहम आउकाइयाणं पज्जत्ताण) सूक्ष्म यि पर्यात (सुहुम तेउकाइयाणं पज्जत्ताणं) सूक्ष्म त य प्र० १३
SR No.009339
Book TitlePragnapanasutram Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1975
Total Pages1196
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size80 MB
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