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________________ प्रज्ञापनासूत्रे ९६ , यिकाः विशेषाधिकाः, सूक्ष्मनिगोदा असंख्येयगुणाः, सूक्ष्मवनस्पतिकायिका अनन्तगुणा, सूक्ष्मा विशेषाधिकाः, एतेषां खलु भदन्त ! सूक्ष्मपर्याप्तकानां सूक्ष्मपृथिवीकायिकाऽपर्याप्तकानां सूक्ष्माकायिकाऽपर्याप्तकानां सूक्ष्मतेज एकायिकाsपर्याप्तकानां सूक्ष्मवायुकायिकापर्याप्तकानां सूक्ष्मवनस्पतिकायिकाऽपर्याप्तकानां, सूक्ष्मनिगोदाऽपर्याप्तकानां च कतरे कतरेभ्योऽल्पा वा बहुका वा, तुल्या वा, विशेषाधिका वा ? गौतम ! सर्वस्तोकाः सूक्ष्मतेजस्कायिकाऽपर्या - ग्रिक हैं (सुम पुढविकाइया विसेसाहिया) सूक्ष्म पृथिवीकायिक विशे षाधिक हैं (म आउकाइया विसेसाहिया) सूक्ष्म अष्कायिक विशेपाधिक हैं (हुम वाकाइया विसेसाहिया) सूक्ष्म वायुकायिक विशेपाधिक हैं (सुम निगोदा असंखेज्जगुणा ) सूक्ष्म निगोद असंख्यात गुण हैं (मवसइकाइया अनंतगुणा ) सूक्ष्म वनस्पतिकायिक अनन्तगुणा हैं (हुमा विसेसाहिया) सूक्ष्म जीव विशेषाधिक हैं । (एएसि णं अंते ! हुम अपजत्ताणं) हे भगवन ! इन सूक्ष्म अपर्याप्त (सुम पुढविकाइया अपजत्ताणं) सूक्ष्म पृथिवीकाय के अपर्याप्त (म आउकाइय अपजत्ताणं) सूक्ष्म अष्काय के अपर्याप्त (सुहुम तेउकाइ अपज्ञत्ताणं) सूक्ष्म तेजस्कायिक के अपर्याप्त (सुहुम वाउकाइय अपज्जत्तार्णं) सूक्ष्म वायुकाय के अपर्याप्त (सुम वणस्सहकाइय अपज्जन्ताणं) (सूक्ष्म वनस्पतिकाय के अपर्याप्त (सुम निगोदा पज्जत्ताग य) और सूक्ष्म निगोद के अपर्याप्तों में ( कयरे) कौन (करेहिंतो) किससे (अप्पा वा, पहुया वा, तुल्ला वा विसेसाहिया वा ?) काइया बिसेसाहिया) सूक्ष्म पृथ्वीश्रयि विशेषाधिछे (सुहुम आउकाइया विसेसाहिया) सूक्ष्म अध्यायि विशेषाधिः छे (सुहुमवाउकाइया बिसेसाहियो) सूक्ष्म वायुअयि विशेषाधि छे (सहुम निगोदा असंखेज्ज गुणा ) सूक्ष्म निगोह - यात गया है (सुहुम वणस्स इकाइया अनंतगुणा ) सूक्ष्म वनस्पतिायि अनंत (सुहुमा बिसेसाहिया) सूक्ष्म व विशेषाधिक छे. (एएसिणं भंते । सुहुम अपज्जत्ताणं) हे भगवन् ! या सूक्ष्म अपर्याप्त (हुम पुढविकाइय अपज्जत्ताण) सूक्ष्म पृथ्वी अयना अपर्याप्त (सुहुम आउकाइय अपज्जत्ताण) सूक्ष्म अष्डायना अपर्याप्त (सुहुम तेउकाइय अपज्जत्ताणं) सूक्ष्म तेलस्वायना अपर्याप्त (सुहुम वाउकाइय अपज्जत्ताणं) सूक्ष्म वायुडायना अपर्याप्त (खुहुम वणरसइकाइय अपज्जत्ताणं) सूक्ष्म वनस्पतिना अपर्याप्त (मुहुम निगोदा पज्ज - ताणं य) सूक्ष्म निगोहना अपर्याप्तोभांथी ( कयरे कयरेहिंतो ) आशु अनाथी ( अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा) हय, धा, तुझ्य अगर
SR No.009339
Book TitlePragnapanasutram Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1975
Total Pages1196
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size80 MB
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