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________________ प्रजापनास्त्रे याद मरामियोऽपि. केजःकायिक या पि वायु कायिकेभ्योऽपि वनस्पतिका यो पि उपचन्ने, गोनमः गृति-'जइ पुढविकाइ पदितो उपवति' यदा यिविका दिनमाविम्य उपनदा 'हिमपुढ़विकाइ एहितो आपति, बाबरपुर रिकापनि उति ?' किं सूक्ष्मपृथिवीकायिकेन्यः कियानि उपप बन्ने, किंवा बायपृथिवीकायिकेन्यः उपपद्यन्ते ? भगवान् आ..-'गावमारे गौना! 'दोनो नि उति ' द्वाभ्यामपि सूक्ष्मवादरपृथिगौशापिती शिवीगायिन उपचन्ने, गौतमः पृच्छति 'ज: मुहमपुढविकाइपनि जोन' यदा समपथिवी कापि यः पृथिवी गायिकाः उपपद्यन्ते तदा -'हिं. पन्नादिरादा दिनों उपवनंति ? अपजनमुक्किाइप हितो उपयनिसिपमा विकी रायिव्य उपपद्यन्ने, रिया अपर्यातकपृथिवीकायिकेन्य उपपन्न ? भगवान आद.-'गोयमा ! हे गौतम ! 'दोहितो वि उपवजनि' द्वाभ्यामगि पर्यापपर्यामका यां पृधिरी कापिया-यां पृथिवी कायिका उपपद्यन्ते, गौतमः पनि 'ना वावर विजानादिनी उबवति' यदा चादरपृथिवीकायिकेभ्यः पांचों सन्द्रियों से भी उन्मन्न होते हैं। गानम भगवन ! यदि पृथ्वीकायिक पृथ्वीकारिको ले उत्पन्न होत नोच्या नाम बीमाविकों से उत्पन्न होते हैं, अथवा बादर गृथ्वीलयिक से। भगवान गौतम ! दोनों से उत्पन्न होते हैं ? गौनम-भगवन् ! गति :-वीकाधिक हम पृथ्वीसायिको से उत्पन्न ने नो या पर्याप्पकों से उत्पन्न होते हैं । अथवा अपर्याप्तकों से जगन्न ? __ भगवान गौतम ! दोनों से अर्थात् पर्याप्नों से भी और अपगीको सेमी उत्पन्न गते । गानस भगवान ! नदि चादर पृथ्वीकायिकों से उत्पन्न होते हैं ર ભગવન 1 પ્રકાચિક કાયિકાથી ઉત્પન્ન ५. हामी पाय गया १६२ योजयितीथी ? .... POE.....सन् ! ५ वीयि सक्षम पीयिाथी . पन याय, ५५ सिटोयो ०:१० . बन्नी छीन यमीवी पर अयो
SR No.009339
Book TitlePragnapanasutram Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1975
Total Pages1196
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size80 MB
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