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________________ प्रमेययोधिनी टीका पद६ सू.६ नरयिकाणामकसमयेनोपपातनिरूपणम् ९९९ उपपद्यन्ते, नो देवेभ्य उपपद्यन्ते, यदितिर्यग्योनिकेश्य उपपद्यन्ते किम् एकेन्द्रियतियंग्योनिकेभ्य उपपद्यन्ते, द्वीन्द्रियतिर्यग्योनिकेभ्य उपपद्यन्ते, त्रीन्द्रियतिर्यग्योनिकेभ्य उपपद्यन्ते, चतुरिन्द्रयतिर्यग्योनिकेभ्य उपपद्यन्ते, पञ्चेन्द्रियतिर्यग्योनिकेभ्य उपपधन्ते ? गौतम ! नो एकेन्द्रियतिर्यग्योनिकेभ्यः, नो द्वीन्द्रियतिर्यग्योनिकेभ्यः, नो त्रीन्द्रितियग्योनिकेभ्यः, नो चतुरिन्द्रियतिर्यग्यो(गोयमा) हे गौतम ! (नो नेरइएहितो उववज्जंति) नैरयिकों से उत्पन्न नहीं होते हैं (तिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति) तिथंचों से उत्पन्न होते हैं (मणुस्सेहिंतो उववज्जति) मनुष्यों से उत्पन्न होते हैं (नो देवे. हिंतो उववज्जति) देवों से उत्पन्न नहीं होते (जह) यदि तिरिक्खजोणिएहिंतो उववज्जति) तिर्यंच योनिकों से उत्पन्न होते हैं (किं एगिदियतिरिक्वजोणिए हिंतो उववज्जति) क्या एकेन्द्रिय तियंचयोनिकों से उत्पन्न होते हैं ? (वेइंदियतिरिख्खजोणिएहितो उबवज्जंति) द्वीन्द्रिय तिर्यंचों से उत्पन्त होते हैं ? (तेहंदियतिरिक्खजोणिए हिंतो उववजंजति ?) त्रिन्द्रिय तिर्यचों से उत्पन्न होते हैं ? (चउरिंदियतिरिक्खजोणिएहितो उवबज्जति) चौइन्द्रिय तिर्यचों से उत्पन्न होते हैं ? (पंचिंदियतिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति ?) पंचेन्द्रिय तिर्यंचों से उत्पन्न होते हैं ? (गोयमा !) हे गौतम ! (नो एगिदियतिरिक्खजोणिएहितो) न एकेन्द्रिय तिर्यक्योनियों ले (नो वेई दियतिरिक्खजोणिएहिंतो) न द्वीन्द्रिय तिर्थचों से (नो तेइंदियतिरि(देवोहितो उववजंति ?) हेवाथी उत्पन्न थाय छे ? (गोयमा ।) गौतम । (नो नेरइएहितो उपवज्जति) ३२यिठीथी अपन्न नथी यता (तिरिक्खजोणिएहितो उजवजंति) तिय याथी उत्पन्न थाय छे (मणुस्सेहिो उववज्जति) मनुष्याथी उत्पन्न थाय छे (नो देवोहिंतो उववजंति) हेवाथी उत्पन्न नथी यता (जइ) यह (तिरिक्खजोणिएहितो उबवजंति) तिय य योनिमाथी उत्पन्न थाय छे (कि एगिदियतिरिक्खजोणिएहितो अवज्जति) शुमलेन्द्रिय तिय य योनिशोथी सत्पन्न याय छ ? (वेइंदिय तिरिक्स्स्रजोणिएहितो उपवज ति) बान्द्रय तिय याची उत्पन्न थाय छ ? (तेइंदिय तिरिक्खजोणिएहिंतो उववज्जति) वीन्द्रिय तिय याथी उत्पन्न याय छ ? (चउरिदिचतिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति) या छन्द्रियाणा तिय याथी 4-1 थाय छ (पंचिंतिय तिरिक्ख जोणिएहिंतो उववज्जति) पयन्द्रिय तिय याथी उत्पन्न याय छ १ (गोयमा ! के गौतम । (नो एगिदियतिरिक्खजोणिएहितो) नमेन्द्रिय तिय ययानिधी (नो वेइंदिय तिरिक्खजोणिएहितो) नदीन्द्रिय तिय न्याथी (नो तेइंदिया
SR No.009339
Book TitlePragnapanasutram Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1975
Total Pages1196
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size80 MB
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