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प्रमापनासूचे इति वा २, 'तणू इवा' तन्वी इति वा ३ अन्यपृथिव्यपेक्षया अस्या अतितनुत्वात्, "तणु तणू इवा' तनुतन्वी इति वा ४, तनुभ्योऽपि विश्वविदितकशपरमाण्यादि पदार्थेभ्यस्तन्वी मक्षिकापत्रतोऽपि पर्यन्तदेशे अतितनुखात्, 'सिद्धित्ति वा' सिद्धिरिति वा ५ सिद्ध क्षेत्रसमीपवर्तित्वात् सिद्धिरिति व्यपदेशः, 'सिद्धालए चा' सिद्धालय इति का, ६, सिद्ध क्षेत्रस्य सन्निहितत्वेन आरोपात् सिद्धानामालयः-सिद्धालय इति व्यवहारः, 'मुत्ति त्ति वा' मुक्तिरिति वा, ७ मुक्तिक्षेत्रस्य प्रत्यासन्नतया मुक्तिरिति व्यपदेशः, 'मुत्तालए इवा' मुक्तालयः इति वा ८, मुक्त क्षेत्रस्य प्रत्यासम्मतया आरोपात् सुक्तानामालयः-मुक्तालयः इति व्यपदेशः, 'लोयग्गेत्ति वा' लोकाग्रम् इति वा ९, लोकाग्रे अस्या विद्यमानत्वात् 'लोकाग्रम् अतः 'ईषत्पाग्भार' की जगह वह 'ईपत्' भी कहलाती है।
(२) ईपत्प्राग्मार ।। '' (३) तन्वी-क्यों कि वह अन्य पृश्वियों की अपेक्षा पतली है ।
(४) तनुतन्वी-संसार में प्रसिद्ध पतले पदार्थो से भी अधिक पतली होने के कारण, पर्यन्त भाग में मक्खी के पंख से भी अधिक पतली होने से उसे तनुतन्वी भी कहते हैं।
' (५) सिद्धि-सिद्धों के क्षेत्र से समीप में होने से सिद्ध कहा है। । (६) सिद्धालय-सिद्ध क्षेत्र के निकट होने से सिद्धालय भी उसे कहते है।
(७) मुक्ति-मुक्ति क्षेत्र के पाल में होने से उसे मुक्ति कहते हैं । (८) मुक्तालय-अर्थ स्पष्ट है-मुक्त जीवों का स्थान ।
(२) लोकान-लोक के अग्रभाग में होने के कारण। ४पत्' ५५ ४पाय छे.
(૨) ઈષ~ામ્ભારા (3) त-पी-भ ते अन्य पृथ्वीयानी अपेक्षा पाती छे.
(૪) તનુતવી-સંસારમાં પ્રસિદ્ધ પાતળા પદાર્થોથી પણ આધિક પાતળી હિોવાથી તેને તનુ તન્વી પણ કહે છે.
(५) सिद्धि-सिद्वाना क्षेत्रानी सभी५ सवाथी सिद्धि ४ी छे. (૬) સિદ્ધાલય-સિદ્ધક્ષેત્રની નિકટ હોવાથી સિદ્ધાલય પણ તેને કહે છે. (७) भुति-भुतिक्षेत्रन पासे डापाथी तेन भुहित ४ छ. (८) भुतासय-मथ-५०८ छ-भुत वान। स्थान (6) सोय सोना समागमा हावाने, १२,