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________________ प्रमेययोधिनी टीका द्वि. पद २५ सू.२ सौधर्मदेवस्थानादिकनिरूपणम् ८७५ स्वेपां विमानावासशतसहस्राणाम् , स्वासां स्मासाम् अग्रमहिपीणाम, स्वासां स्वासाम् सामानिकसाहस्रीणाम्, एवं यथैव औधिकानां तथैव एतेपामापि भणितन्यम् यावत् आत्मरक्षकदेवसाहस्रोणाम् , अन्येपाञ्चबहूनां सौधर्मककल्पवासिनाम् वैमानिकानाम् देवानाञ्च देवीनाञ्च आधिपत्यं यावद् विहरन्ति, शक्रः अत्र देवेन्द्रो देवराजः परिवसति, बज्रपाणिः, पुरन्दरः शतक्रतुः सहस्राक्षः मघवान् पाकशासनः, दक्षिणार्द्धलोकाधिपतिः, द्वात्रिंशद् विमानावासशतसहस्राधिपतिः, अपने-अपने लाखों विमानों का (लाणं साणं अग्गमहिलीणं) अपनी -अपनी अग्रमहिषियों का (साणे साणं सामाणियसाहस्सीणं) अपने -अपने सहस्रों सामानिक देवों का (एवं जहा ओहियाणं तहेव एएसिपि भाणियवं) इस प्रकार जैसा समुच्चय कथन किया गया है, वैसा ही इनका भी कहना चाहिए (जाव) यावत् (आयरक्खदेवलाह स्सीणं) सहस्रो आत्मरक्षक देवों का (अन्नेसिंच बहूणं) अन्य भी बहुतसे (सोहम्मगकप्पवासीणं वेमाणियाणं) सौधर्म कल्पवासी वैमानिक (देवाण य देवीण य) देवों और देवियों का (आहेवच्चं जाव विहरंति) अधिपतित्व करते हुए यावत् विचरते हैं। (सक्के) शक (इत्थ) यहां (देविंदे देवराया) देवेन्द्र, देवराज (परिवसइ) वसता है (वज्जपाणी) वज्रपाणि (पुरन्दरे) पुरन्दर (सयक्कतू) शतक्रतु-सौ पडिमाओं वाला (सहस्सरखे) सहस्राक्ष-हजार नेत्रों वाला (मघवं) मघवा (पागसासणे) पाकशासन (दाहिणड लोगाहिवई) दक्षिणार्ध लोक का स्वामी (बत्तीसविमाणावाससयसहस्साहिवई) यत्तीस लाख विमानों का अधिपति (एरावणवाहणे) ऐरावत हाथी विमानाना (साणं साणं अग्गमहिसियाणं) पातचीतानी मयमाडलियां (साणं साणं सामाणियसाहस्सीणं) पातपाताना । सामान वान। (एवं जहा ओहियाणं तहेव एएसिपि भाणियब्ध) मा अारे २ सभुय्यनु थन ते । माभनु प ४ नो (जाव) यावत् (आयरक्खदेवसाहस्सीणं) हुन्न। मात्म२३४ हेवाना (अन्नेसिं च बहूणं) मीत' ५ मा (सोहम्मगकप्प वासिणं वेमाणियाणं) सौयम ४८५वासी वैमानि४ (देवाण य देवीण य) हे। भने वियोना (आहेवच्चं जाव विहरंति) मधिपतित्व ४२ता यावत् वियरे छे. (सक्के) श (इत्थ) मङि (देवि दे देवराया) हेवेन्द्र, देवरा (परिवसइ) (वज्जपाणि) वा (पुरदरे) ५२४२ (सयकत्तू) शततु-सोपभासावा (सहस्सक्खे) ससाक्ष १२ नेत्रपा (मघवं) मघवा (पागसासणे) ५।४ासन (दाहिणढ लोगाहिवई) दक्षिा सोना स्वाभी (बत्तीसविमाणावाससयसहस्सो
SR No.009338
Book TitlePragnapanasutram Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1974
Total Pages975
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size63 MB
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