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________________ प्रक्षापनासूत्रे ८ । संस्थानतः परिमण्डलसंस्थानपरिणता अपि १, वृत्तसंस्थानपरिणता अपि २, यस्रसंस्थानपरिणता अपि ३, चतुरस्त्रसंस्थानपरिणता अपि ४, आयतसंस्थानपरिणता अपि ।।५।॥२०॥१००॥सू०६॥ . टीका--अथ पूर्वोक्तानामेव वर्ण गन्धरसस्पर्ससंस्थानानां परस्परं संबंध परिणाम प्ररूपयितुमाह--'जे चण्णओ कालवण्णपरिणया ते गंधओ मुभिगंधपरिणया वि, दुभिगंधपरिणया वि 'जे' ये-स्कन्धपुद्गलादयः पदार्थाः 'वण्णुओ' वर्णतः-वर्णमधिकृत्य वर्णापेक्षयेत्यर्थः 'कालवण्णपरिणया'- कालवर्णपरिणताः-कृष्णवर्णपरिणामवन्तोऽपि भवन्ति 'ते गंधओ'-ते गन्धतः-गन्धमाश्रित्य-गन्धापेक्षयेत्यर्थः, 'सुभिगंधपरिणय वि'-मुरभिगन्धपरिणता अपि भवन्ति, अथ च-'दुन्भिगंधपरिणया वि'-दुरभिगन्धपरिणता अपि भवन्ति, तथा स्पर्श परिणमन वाले भी हैं (लुक्खफास परिणया वि) रूक्ष स्पर्श परि णमन वाले भी हैं। __(संठाणओ) संस्थान से (परिमंडलसंटाणपरिणया वि) परिमंडल संस्थान परिणमन वाले भी हैं (वसंठाणपरिणया वि) वृत्तसंस्थान परिणमन वाले भी हैं (ससंठाणपरिणया वि) त्रिकोण संस्थान परिणमन वाले भी हैं (चउरंससंठाण परिणया वि) चतुष्कोण संस्थान परिणमन वाले भी हैं (आययसंठाणपरिणया वि) आयत संस्थान परिणमन वाले भी हैं ॥२०॥ (१००) ॥१०॥ टीकार्थ-जो स्कंध रूप पुद्गल वर्ण से काले वर्ण वाले हैं अर्थात् कृष्णवर्ण रूप परिणति को प्राप्त हैं, उनमें से गंध की अपेक्षा कोई सुगंध वाले भी होते हैं और कोई दुर्गंध वाले भी होते हैं। यह आवश्यक qui ye छ (उसिणफासपरिणया वि) SULY २५ परिणाम पाणi ५ छ (णिद्धफासपरिणया वि) नि २५ परिणाम वा ५ छ (लुक्खफासपरिणया વિ) રૂક્ષ સ્પર્શ પરિણામ વાળાં પણ છે. (संठाणओ) सथानथी (परिमडलसंठाणपरिणया वि) परिभस स स्थान परिणाम Mi पY छ (वट्टसंठाणपरिणया वि) वृत्तस स्थान परिणाम वा पY छ (तंससंठाणपरिणया वि) विएस स्थान परिणाम पा ५४ छ (चउरंससंटाणपरिणया वि) यतुष्ठीए स स्थान परिणाम पा ५४ छ (आययसंठाणपरिणया वि) स स स्थान परिणाम व ५ छ। २० (१००) सूत्र ॥ ६ ॥ ટીકાર્ય–જે સ્કંધ રૂપ પુદ્ગલ રગે કાળા રંગ વાળા છે અર્થાત્ કૃષ્ણ વર્ણ રૂપ પરિણામને પામેલાં છે, એમાંથી ગધની અપેક્ષાએ કેઈ સુગન્ધ વાળા પણ હોય છે અને કેઈ દુર્ગન્ય વળાં પણ હોય છે, તે આવશ્યક નથી કે કૃષ્ણ
SR No.009338
Book TitlePragnapanasutram Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1974
Total Pages975
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size63 MB
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