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________________ प्रमापनास भाणियव्वं इमेण विहिणा भूयाणं सुरूव पडिरूवा, जक्खाणं पुन्नभद्दमाणिभद्दा, रक्खसाण भीम महाभीमा, किन्नराणं किन्नर किंपुरिसा, किंपुरिसाणं सप्पुरिसमहापुरिसा, महोरगाणं अइकायमहाकाया, गंधव्वाणं गीयरइ गीयजसा, जाव विहरइ, काले य महाकाले सुरूव पडिरू व पुन्नभद्दे य । तह चेव माणिभद्दे भीमे य तहा महाभीमे ॥१४१॥ किन्नर लिंपुरिसे खलु सप्पुरिसे खलु तहा महापुरिसे। अइकाय महाकाए गीयरई चेव गीयजसे ॥१४२॥ कहि णं भंते ! अणवन्नियाणं देवाणं ठाणा पण्णता ? कहि णं भंते ! अणवन्निया देवा परिवसंति ? गोयमा ! इसीसे रयणप्पभाए पुढवीए रयणामयस्स कंडस्स जोयणसहस्सवाहल्लस्ल उार जाव जोयणसएसु, एत्थ णं अणवनियाणं देवाणं तिरिय मसंखेज्जा णगरावाससहस्सा भवंतीति मक्खाय, ते णं जाव पडिरूवा, एत्थ णं अणवन्नियाणे देवाणं ठाणा, उववाएणं लोयस्स असंखेज्जइभागे, समुग्घाएणं लोयस्त असंखेज्जइआगे, सटाणेणं लोयस्स असं. खेज्जइभागे, तत्थ णं बहवे अणवष्णिया देवा परिवसंति महिडिया जहा पिसाया जाव विहरंति, सन्निहियसामाणा इत्थ दुवे अणवर्णिणदा अणवन्नियकुमाररायाणो परिवसंति, महिड्डिया, एवं जहा काल सहाकालाणं दोण्हपि दाहिणिल्लाणं उत्तरिल्लाण य भणिया तहा सन्निहिय सामाणाणंपि भाणिययव्वा, संगहणीगाहा-अणवन्नियइसिवाइयसूयवाइया चेव । कंदियमहाकंदिय कोहंडा पयंगए चेव॥१४३॥इमे इंदासंनिहिया सामाणा घायविधाए इसीयइलिवाले। ईसरमहेसरा हवइ सुवच्छे विसाले य ॥१४४॥ हासे हालरई वियसेए य तहा भवे महासेए। पयए य पयंगवई य नेयव्वा आणुपुवीए ॥१४५॥सू० २२॥
SR No.009338
Book TitlePragnapanasutram Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1974
Total Pages975
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size63 MB
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