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________________ प्रज्ञापनासूत्रे णनिर्मलमणिरत्नमण्डितभुजौ, दशमुद्रामण्डिताग्रहस्तौ, चूड़ामणिचित्रचितगतौ, सुरूपौ महाद्धिकौ, महाद्युतिको, महायश.सौ, महावलौ, महानुभागौ, महासौख्यो, हारविराजितवक्षसौ, व टकत्रुटितस्तम्मित् भुजौ, अगदकुण्डल मृष्टगतलवर्णपीठधारिणौ, विचित्रहस्ताभरणौ, विचित्रमालामौली, कल्याणक प्रवरवस्त्रपरिहितो, . कल्याणकप्रवरमाल्यानुलेपनधरौ, भास्वरवोन्दी, प्रलम्बवनमालधरौ, दिव्येन तुडियपवरभूसणणिस्मलमणिरयणमंडियभुया) तल भंग, त्रुटित तथा अन्य निर्मल मणियों एवं रत्नों से भूषित भुजाओं वाले (दसमुद्दा मंडियग्गहत्था) दश मुद्रिकाओं से अंडित उंगलियों वाले (चूडामणि चित्तचिंधगया) विचित्र चूडामणि के चिह्न से युक्त (सुत्वा) सुन्दर रूप वाले (महडिया) महाऋद्धिमान (महज्जुईया) महान् घुति वाले (महायसा) अत्यात यशस्वी (महाबला) महाबलवान् (महाणुभावा) महान् प्रभाव वाले (महासोवखा) अत्यन्त सुखी (हारविराइयवच्छा) हार से सुशोभित वक्षस्थल वाले (कडयतुडियर्थभियभुया) कटकों तथा त्रुटितों से स्तब्ध भुजा वाले (अंगदकुंडलमट्टगंडतलकन्नपीढधारी) अंगद, कुंडल तथा कपोल भाग को मर्पण करने वाले कर्णपीठ नामक आभूषण को धारण करने वाले (विचित्तहत्याभरणा) अद्भुत हाथों के आभूषण वाले (विचित्तमालामाली) अदभुत मालाओं से युक्त मुकुट वाले (कल्लाणगपवर वत्थपरिहिया) कल्याणकारी श्रेष्ठ स्त्र पहने हुए (कल्लाणगमल्लाणुलेवणधरा) कल्याणकारी मालाओं तथा लेपन (भद्दे) भद्र (जोव्वणे) यौवनमा (वट्टमाणा) पतमान (तलभंगतुतडियपवरभूसण-- णिम्मलमणिरयणमंडियभुया) तस, त्रुटित तथा अन्य नि भणियो तमन रत्नाथी भूषित मुनम प (दस मुद्दामडियग्गहत्था) ४१ वीटयोथी महित, मांजीय वा (चूडामणि चित्तचिंधगया) .वियित्र यूमिना स्यह्न पणा, (सुरूवा) सुन्४२ ३५१५। (महड्ढिया) महाद्धिमान् (महज्जुईया) महान् धुति ain (महायसा) मत्यन्त यशस्वी (महाबला) भडान् वान् (महाणुभागा) भडान प्रमाण (महासोक्खा) अत्यन्त सुभी. (हारविराइयवच्छा) डारथी सुशासित पक्षस्थल वा (कडय तुडिय थंभियभुया) ४८ तथा त्रुटितोथी स्थि२ सुतोवा (अंगद कुडल मट्ठगंडतल कन्नपीढधारी) म ६, ७, तथा કપિલ ભાગને મર્ષણ કરવા વાળા કર્ણપીઠ નામક આભૂષણને ધારણ કરવા पास (विचित्तहत्थाभरणा) महमुत थाना माभूषए पाप (विचित्तमालामउली) मभूत म माथी युन्त भुगट वाणा (कल्लाणगपवरवत्थपरिहिया) ४क्ष्या
SR No.009338
Book TitlePragnapanasutram Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1974
Total Pages975
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size63 MB
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