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________________ प्रमेयबोधिनी टीका द्वि. पद २ सू.१७ भवनपतिदेवानां स्थानानि ६७६ ___ चूडामणिमुकुटरत्न १ भूपणनागस्पटा २ गरुड ३ वन ४ पूर्णकलशाङ्कोप्फेसाः, ५ सिंह ६ मकर ७ गजाङ्का ८ श्ववरं ९ वर्धमाननियुक्तचिह्नगताः मुरूपा महद्धिका महाद्युतिकाः, महावला महायशसो महानुभावा महासौख्या हारविराजितवक्षसः कटकत्रुटितस्तम्भितभुजाः अङ्गदकुण्डलमृष्ट गण्डतलकर्णपीठ धारिणः, विचित्रहस्ताभरणा विचित्रमौलिमुकुटाः कल्याणकप्रवरवस्त्रपरिहिताः (विज्जू) विद्युत्कुमार (अग्गी य) अग्निकुमार (दीव) दीपकुमार (उदही य) उदधिकुमार (दिसि-पक्षण थणियनामा) दिशाकुसार, वायुकुमार, स्तनितकुमार नाम वाले (दसहा) दश प्रकार के (एए) ये (भवणवासी) भवनवासी देव हैं । (चूडामणि) चूडा रत्न (मउड) मुकुट (रयण) रत्न (भूलण) आभूषण (णागफड) नाग का फन (गरुल) गरुड़ (वइर) वज्र (पुण्णकलसंकउपफेसा) पूर्ण कलश के चिह्न से युक्त मुकुट (सीह) सिंह (मगर) मकर (गयंक) हाथी का चिह्न (अस्सवर) श्रेष्ठ अश्व (बद्धयाण) शरावसंपुट (निज्जुत्तचित्तचिंधगया) इनसे युक्त विचिन चिह्नों वाले (सुरूवा) सुन्दर रूप वाले (महिड्डिया) महा ऋद्धि वाले (महज्जया) महा कान्ति वाले (महब्बला) महान् बल वाले (महाजसा) महान् यशस्वी (महागुमावा) महान् अनुभाव वाले (महासोक्खा) महा सुख वाले (हारविराइयवच्छा) हार से सुशोभित वक्षस्थल वाले (कडग तुडियर्थभियभुया) कडों और केयूरों से स्तंभित भुजा वाले (अंगयकुंडलमहगंडयलकण्णपीढधारी) अंगद कुंडल तथा कर्णपीठ ___ (असुरा) असु२४भा२ (नाग-सुवन्ना) नागभा२, सुवर्णभा२, (विज्जू) विद्युत्भार (अग्गीय) मनभा२ (दीव) दीपभा२ (उदहीय) धिमा२ (दिसि -पवण थणियनामा) हिमा२, वायुभा२, स्तनितभार नभवा (दसहा) ४० ५४२ना (एए भवणवासी) सवनवासी हे छ (चूडामणि) यूडा२त्न (मउड) भुगट (रयण) २त्न (भूसण) मा ३८ (गागफग) नागनी (गरुल) 1३७ (वइर) 4* (पुण्ण-कलसंकउप्फेसा) पूर्ण प्रशन यिहथी युत भुगट (सीह) सिंह (मगर) भघ२ (गयक) यीनु थिटे (अस्सवर) श्रेष्ठ २५4 (वद्धमाण) शरा सपुट (निज्जूत्त चित्त चिधगया) तमनाथी युत PAणा (सुरुवा) सु१२३५ १॥ (महिड्ढिया) भडान समृद्धिपा (महज्जुइया) महातपा (महव्वला) भडान मण पा (महाजसा) भडान यशस्वी (महाणुभावा) भडान अनुमावअलावा (महासोक्खा) म सुम पाणा (हारविराइयवच्छा) २थी सुशलित पक्षस्था (कडगतुडिय थभियभुया) ४i मने मgu पायी तमित या (अंगय कुंडल मढगंडयलकण्णपीढधारी) मा ७५ तथा ४ पीने पा२६५
SR No.009338
Book TitlePragnapanasutram Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1974
Total Pages975
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size63 MB
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