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________________ प्रमेयवोधिनी टीका प्र. पद १ सू.३७ कर्मभूमकादिमनुष्यनिरूपणम् ४४१ उसा मलया य चुचुया य बंधुया य, चूलिय-कोंकणग-सेयपल्हव-मालव-जग्गर-आभासिया कपणवीर-ल्हसिय-खसाखा: सिय णेदूर मोंढडोंबिल गलओस पओस ककोय अक्खागहण रोमगममररुय चिलाय विसयवासी य एवमाई। से तं मिलिक्खू ।।सू० ३७॥ - छाया-अथ के ते कर्मभूमकाः ? कर्मभूमकाः पञ्चदशविधाः प्रज्ञप्ताः तद्यथा पञ्चभिर्भरतैः५, पञ्चभिरैरवतैः५, पञ्चभिर्महाविदेहैः ५ । ते समासतो द्विविधाः प्रज्ञप्ताः, तद्यथा आर्याश्च म्लेच्छाश्च । अथ के ते म्लेच्छाः ? म्लेच्छा 'अनेकविधाः प्रज्ञप्ताः, तद्यथा-शकाः, यवनाः, चिलाताः, शवर-वर्वर-मुरुण्ड-उइंडकभण्डक-निष्णक-पकणिकाः, कुलाक्ष-गौड-सिंहल-पारसकाऽऽन्ध्रोः, क्रौञ्चा.. शब्दार्थ-(से किं तं कम्मभूमगा?) कर्मभूमक जीव कितने प्रकार के कहे हैं ? (पन्नरसविहा परगत्ता) पन्द्रह प्रकार के कहे हैं (तं जहा) वे इस प्रकार (पंचहिं भरहेहिं) पांच भरतक्षेत्रों में (पंचहि एरवएहिं) पांच ऐरवत क्षेत्रों से (पंचहिं महाविदेहेहिं) पांच महाविदेहाँ से (ते समासओ दुविहा पण्णत्ता) वे संक्षेप से दो प्रकार के कहे गए हैं (तं जहा) वे इस प्रकार (अरिया य मिलिक्खू य) आर्य और म्लेच्छ ।। (से कि तं मिलिक्ख ?) म्लेच्छ कितने प्रकार के कहे हैं ? (मिलिक्खू अणेगविहा पण्णत्ता) म्लेच्छ अनेक प्रकार के कहे हैं (तं जहा) वे इस प्रकार (रुगा) शक (जवणा) यवन (चिलाया) किरात (सबर -बवर-मुरंडो-ह-अंडग-निष्णग-पक्कणिया) शबर, बर्बर, मुकण्ड, हाथ-(से कि त कम्मभूमगा ?) भभूम डेटा प्रारना यहां छ ? (कम्मभूमगा पन्नरसविहा पण्णता) भभूम४ ५४२ ५४२॥ ४ह्या छे. (त जहा) ते॥ २॥ प्ररे छ (पचहि भरहे हि ) पाय मरत क्षेत्री (पंचहि एरवगहि ) पाय ॥२वनक्षेत्राथी (पचहि महाविदेहेहि ) ५२५ मा विडीयो (ते समासओ दुविहा पण्णत्ता) तथा सपथी ये माना ॥ छ (त जहा) तेयो २४२ छ (आरिया य मिलिय) मा मने २७ (से कि त मिलिख) ? २७ ४८॥ ५४॥२॥ छे ? (मिलिस्खू अगेग विहा पण्णत्ता) २७ मने २0 ४ा छ (त जहा) तेसो २ (सगा) श४ (जवणा) यवन (चिलाया) 31 (सतर-चब्बर मुरंडो भंडग निण्णग पकणिया) २५२, ५२, भु३७, ७३८, ४, नि५५, ५४४५ (कुलक्ख) गोड सीहल -पारसतगाधा) २६ गांड, सि हुन पा२४६ २ia (कोच, प्र० ५६
SR No.009338
Book TitlePragnapanasutram Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1974
Total Pages975
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size63 MB
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