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२१ भेद सहित देव के स्वरूप का निरूपण
५३१-५५० २२ . पृथ्वीकाय अप्काय वायुकाय तेजस्काय वादर वायु ., व वनस्पतिकाय के स्वरूप का निरूपण
.५५१-५९९ २३ वेन्द्रियादि जीवों का निरूपण
६००-६०९ नारकी के स्थानो का निरूपण
६०९-६६२ तीर्यच पंचेन्द्रीय के स्थानों का निरूपण ६६२-६६६ मनुष्य व भवनपति असुरकुमारों के देवों के स्थानों का निरूगण
नागकुमार व सुवर्णकुमार देवों के स्थान का वर्णन ७३७-७८७ । व्यानव्यंतर देव व पिशाचादि व्यंतर जाती के देवों के , स्थानों का वर्णन
.७८८-८४२ २९. ज्योतिष्क देवों के स्थान का निरूपण
८४२-८५७ ३० वैमानीकदेव व सौधर्मदेव ईशानदेवों के
स्थानों का निरूपण ३१ . ब्रह्मदेव लोक से ग्रैवेयकादि देवों के स्थानों का वर्णन ९१५-९७९ ३२. . सिद्धों के स्थान का निरूपण
. ९७९-१०१५
८५८-९१४
॥ समाप्त ॥ ,