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प्रमेयबोधिनी टीका प्र. पद १ सू.२२ भाप्रकारेण सजीवादि निर्देश ३१७ मुण्डी विहङ्गुतृणानां पर्वकानां च ॥९॥ अक्षिपर्ववलिमोटकं च एकस्य भवति जीवस्य । प्रत्येकं पत्राणि, पुष्पाणि अनेकजीवानि ॥१०॥ पूषफलं कालिङ्गं तुम्वं त्रपुषम् एलस् एलवालुकम् । घोपात पंडोलं तेन्दुकं चैव तिन्दुसं ॥११॥ वृन्तसमं सकटाहम्, एतानि भवन्ति एकजीवस्य । प्रत्येकं पत्राणि, सकेसरा अकेसरा मिञ्जाः॥१२॥ सप्फाकं सध्यायम् उद्वेहलिका च कुहणं कन्दुक्यम् । एते अनन्तजीवाः कन्दुक्ये भवति भजना तु ॥१३॥सू०२२॥ ' (वेणु) वांस (नड) एक प्रकार की वनस्पति (इक्खुवाडिय) इक्षु. वाटिका (समासइक्खू य) समालेक्ष (इक्कडे) इक्कड नामक वनस्पति (रंडे) रंड (करकर) करकर (सुठि) सोंठ (विहंगू) विहंगु (तणाण) तृणों का (तह) तथा (पव्वगाणं च) पर्व वालों का .. (अच्छि) अक्षि (पच्वं) पर्व (बलिलोडओ य) और पर्यों को वेष्टित करने वाला गोल भाग (एस्स) एक (जीवस्त) जीव के (पत्तयं) प्रत्येक (पत्ताई) पत्ते (पुक्काई) पुष्प (अणेगजीवाई) अनेक जीवों वाले।
(पूसफलं) पूसफल (कालिंग) कालिंगं (तुंबं) तुम्ब (तउसेल) पुष, (एलवालु कं) एलवालुक-चीमडा (घोसाडय) घोषातक (पंडोल) पडोल (तिंदुयं चेव) और तेंदू (ते दुःसं) तिन्दुस _ (बिंटसमं) वृन्त समान (सकडाई) सकटाह (एयाई) ये (हवंति) होते हैं (एगजीवस्स) एक जीव के (पत्तेथ) प्रत्येक (पत्ताई) पत्ते (सकेसर) जटा सहित (अकेसर) जटा रहित __(सप्फाए) सप्फाक (सज्झाए) सध्याय (उध्वेहलिया य) और
(वेणु) qia (नड) मे तनी वनस्पति (इक्खुवाडिय) क्षुपाटि (समास इक्खू य) सभासेनु (इक्कडे) ४४४, ४४ वनस्पति (रडे) २ (करकर) ४२४२ (सु ठि) सु (विहंगू) विY (तणाण) तृणना (तह) तथा (पव्वगाण च) ५६ पाणाना (अच्छि) भक्षि (पव्यं) ५६ (बलिमोडओ य) भने पनि थनार
an (एगस्स) मे 2मे (जीवस्स) याना (पत्तेय) प्रत्ये: (पत्ताई) पान (पुष्काई) १७५ (अणेगजीवाई) आने वा
(पूसफलं) पूस५८ (कालिगं) लि (तु बं) तुभ्य (तउसेय) अधुष (एलवालुकं) मेदावाg४ (घोसाडय) घात (पंडोल) 4 (तिंदुयं चेव) मने तेई (तेदुस) तिन्दुस.
(विंटसम) समान (सकडाई) स४ा (एयाई) २ (हवंति) डाय छ (एगजीवस्स) मे अपना (पत्तेय) प्रत्ये (पत्ताई) पान (सकेसर) स२ सहित
सडित (अकेसर) १८८ २डित.