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________________ 1 प्रमेोधिनी टीका प्र. पद १ सू.२० साधारणशरीरवादरवनस्पतिकायिकाः २९३ लोहिणी - स्तुही ४ मिथु५ हुस्थिभाव ६ च । कर्णी सिंहकर्णी सिंउंढी ९ मुकुंदी १० च ॥ १॥ रुरु११ कुण्डरिन १२ जीरु: १३ क्षीरविडाली १४ तथैव किट्टिका१५। हरिद्रा १६ धृङ्गवेरश्च १७ आलुकं १८ मूलकम् १९ इति ॥ २॥ काम्बोजं २० कर्णोत्कटः२१ सुमात्रा २२ वलकी २३ तथैव मधुङ्गी २४ । नीरुहा२५ सर्प सुगन्धा२६ छिनरुहा२८ चैव बीजरुहा२८| ३ || पाठा २९ मृगवालुङ्की ३० मधुररला ३१ चैव राजपत्नी ३२ च पद्मा३३ गा०३४ दन्ती३५ ति चण्डी३६ प्रकार के हैं ? ( अगविहा) अनेक प्रकार के (पण्णा) कहे हैं (तं जहा ) वे इस प्रकार (अवए) अवक, (पणए) पनक, (सेवाले) शैवाल, (लोहिणी) स्तुही, (मिहुत्यु) मिकुस्यु, (हस्थिभागा ) हस्तिभागा य, और (अस्कन्नि) अश्वकर्णी, (सीहकन्नी) सिंहकर्णी, (सिउंढी) सिउण्डी, (तत्तो) फिर, (सुसु ढी) सुखनी) य और । ( रुरु) रुरु (कुंडरिया) कुंडरिका, (जीह) जीरु, (छीरविराली) क्षीरविडाली, (तच) उसी प्रकार (किडीया) किट्टिका, (हालिदा) हल्दी, (सिंगवेरे) अदरख, य और (आलुगा) आलू, (मूलए) मूली, (कंबू) काम्बोज, (कन्नुक्कड) कर्णोत्कट, (सुमसओ) सुमात्रक, (इ) वलकी, (तव) उसी प्रकार (महसिंगी ) मधुशृङ्गी, (नीरुह ) नीहा, (सम्पबंधा) सर्वसुगन्धा, (छिन्नरुहा) छिन्नरूह, (चेव) और (arrot) बीज म्ह (पाढा) पाढा, (मिघवालु की) मृगवालुंकी, (महुररसा) मधुररसा, (चेव) और (रायवती घ) और राजपस्वी, (पउमा) पद्मा, (भाढरि) रण वायरवणस्सइकाइया) साधारण माहर वनस्पतिहायि । (अणेगविहा) मने अारना (पण्णत्ता) ह्या छे (तं जहा) ते या प्रारे (अवाए) अव४ (पणए) पन (सेवाले) शैत्रास (लोहिणी) स्नुडी (मिहुत्थु ) भिडुत्थु (हत्थिभागा ) स्ति लागा (य) भने (अस्सकन्नि) अवर्णी (सीहकन्नी) सिडी (सिऊढी) सिउडी ( तत्तो) भने ( मुसु ढी) भुसुढी (7) भने (ह) ३३ (कुडरिया) 3. (२४ (जीह) ७३ ( छीरविराली) क्षीरविरादी (तहेब) ये रीते (किट्टिया) डिट्टि (हालिदा) डुणहर (सिगवेरे) आहु (य) भने (आलूगा) भालू (मूलए) भूजा (कंवयं) स्पोट (कन्नुक्कड) ४४८ (सुमत्तओ) सुभान (वलइ) वसी (तहेब) खेळ रीते (महुसिगी) मधुशृगी (निरह) निश्ड (सप्णसुधा) सर्प सुगन्धा (छिन्नरुहा) छिन्न३३ (चेव) भने (बीयरुहा) मीन (पाढा) पाढा (मियवालु की) भृगवासु डी (महुररसा) भधुर रसा (चैत्र) भने (राचवत्तीय) राष्ट्रपत्री (पउमा ) पद्मा (माढरी) भाइरी (ती) हन्ती (इति) मे रीते (चंडी) थन्डी (किट्टित्ति) ईष्टि (यावरा) मने मील
SR No.009338
Book TitlePragnapanasutram Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1974
Total Pages975
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size63 MB
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