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________________ प्रमेयवोधिनी टीका प्र. पद १ सू.१९ समेदवनस्पतिकायनिरूपणम् २५७ __ छाया-अथ के ते गुच्छाः ? गुच्छा अनेकविधाः प्रज्ञताः, तद्यथा-वृन्ताकी १ शल्यकी २ थुण्डकी ३ च तथा कस्तूरी ४ च जीयुमणा ५। रूपी ६ आढकी७ नीली ८ तुलसी ९ तथा मातुलिङ्गी १० च ।।८॥ अतुम्भरी ११ पिप्पलिका १२ अतसी १३ विल्वी १४ च काय्यादिका । १५। बुच्चू १६ पटोलकन्दः १७ विकुर्वा १८ वस्त्रलन्देरः १९ ॥९॥ पत्रपूरः२० गीतपूरकः २१ भवति तथा जवसकश्च २२ बोद्धव्यः। निल्गुः २३ मृगाङ्कः २४ तनरी २५ अस्तकी २६ चैव तल उदाडा २७ ॥१०॥ शण २८ पाणा २९ काश ३० मुद्रका ३१ ऽऽघातक ३२ श्याम ३३ सिन्दुवाराश्च ३४ । करमर्दा३५ ऽडूसक ३६ करीरै३७ रावण विहा) अनेक प्रकार के (पण्णत्ता) कहे हैं (तं जहा) वे इस प्रकार हैं (वाइंगणि) वृन्ताकी (सल्लइ) शल्यकी, (धुंडई) थुपडकी, (य) और (तह) तथा (कत्थुरी) करतूरी, (जीभुमणा), (ख्वी) रूपी, (अढइ) आढकी, (णीली) नीली, (तुलसी) तुलसी, (माउलिंगी) मातुलिंगी, (कच्छु भरि) कस्तुम्भरी (पिप्पलिया) पिप्पलिका, (अतसी) अतसी, (विल्ली) विल्वी, (काइमाईया) काम्यादिका (बुच्चू) वुच्चू (पटोलकंदे) पटोलकन्द(विउच्चा) विकुर्वा, (वत्थलंदेर) वस्त्रलंदेर, (पत्तउर) पत्रपूर, (सीयउरए) शीतपूरक, (हवइ) है (तहा) तथा (जवसए) जवसक (बोद्धव्वे) जानना चाहिए (णिग्गु) निल्गु, (मिअंक) मृगांक (तबरि) तवरी, (अत्थई) अस्तकी, (चेच) और (तलउडादा) तल उडादा, (सण) शण (पाण) पाण (कास) काश, (मुद्दग) मुद्रक (अग्घाडग) आघातक, (साम) च्योम, (सिदुवारे) सिन्दुवार (य) और (करमद्द) करमर्द (अद्दसग) अई सक (अणेगविहा) भने प्रा२ना (पण्णत्ता) ४६॥ छ (तं जहा) तेस। 20 रे छ (वाइंगणि) वृन्ती (सल्लड) यी (थु डई) यु. (ब) मने (तह) तथा (कत्थुरी) ४स्तूरी (जीभुमणा) (रूवी) ३पी (आढइ) PAIGN (णीली) नासी सीमा (तुलसी) तुससी (माउलिंगी) भातुसि भी (कच्छु भरि) ४२तु सरी (पप्पलिया) पिपलि (अतसी) मतसी (बिही) जीवी (काईमाईया) आभ्याीि (बुच्चु ) श्य (पटोलकंदे) पटोद ४६ (विउव्या) वि (वत्यलंदर) पनामा ६३ (पत्तउर) पत्र५२ (सीयउरण) शीत ५२५ (हवा) छे (तहा जाना) यस (घोडब्बे) જાણવા જોઈએ. (णिग्गु) निशु ( मिक) भृ॥५ (अन्य) : २०ी (1) ने (नल उहादा) THSL (सण) A५ (पान) ! (जग) ३ ( १८९ (अन्धग) Pl मात (साम) याम (सिन्दुवार) मि ( वीने (-) ४२ - सग) मा (फरीर) २ (राय) रा. प्र० ३३
SR No.009338
Book TitlePragnapanasutram Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1974
Total Pages975
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size63 MB
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