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________________ २४८ प्रशापनासूत्रे १निम्बाऽऽम्र२ जव३ कोगान४ शालां५ऽकोठाः६ पीलुः७ शेलुः८ । शल्लकी९ मोचकी १० मालुकौ ११ वकुल:१२ पलाशः१३ करञ्जश्च१४ ॥ पुत्र जीवका १५ ऽरिष्टौ १६ विभीतकः १७ हरीतकश्च १८ भल्लातकः १९। उस्वेभरिका २० क्षीरिणी २१ बोद्धव्यः धातकी २२ प्रियाल; २३ ॥३॥ पूति निम्ब २४ करजी २५ स्नुही (शक्षणा) २६ तथा शिशपा २७ च अशनश्च २८ नाग २९ नाग ३० वृक्षो श्रीपर्णी ३१ तथा अगोकश्च ३२ ॥४॥ ये चान्ये तथा प्रकारा एतेषां खलु सलान्यपि असंख्येयजीपकानि, कान्दा अपि, स्कन्धा शब्दार्थ-(ले कि तं रुक्खा ) ? वृक्ष कितने प्रकार के हैं ? (रुक्खा ) वृक्ष (दुविहा) दो प्रकार के (पण्णत्ता) कहे हैं (तं जहा) वे इस प्रकार (एगट्टिया य) एक बीज वाले और (बहुवीयगा य) बहुत बीजों वाले (से कि तं एगहिया) एक बीज वाले कितने प्रकार के हैं ? (अणेगविहा) अनेक प्रकार के (पण्णता) कहे हैं (तं जहा) वे इस प्रकार हैं (णिय) नीम (अंब) आम (जंबु) जामुन (कोसंभ) कोशम्ब (साल) शाल (अंकुल्ल) अखरोट (पीलू) पीलु (सेलूय) शेल (सल्लइ) सल्लकी (मोयइ) मोचकी मालय (मालूक) (वउल) बकुल (पलास) पलाश (करंजे) करंज (पुत्तंजीवय) पुत्रजीवक (अरिह) अरिष्ट (विहेलए) बहेडा (हरिडएय) हरड (भिल्लाए) भिलावा (वेभरिया) उम्बेभरिका (खीरिणि) क्षीरणी (बोद्धब्वे)जानना चाहिए (धायइ) धात की (पियाले) प्रियाल (पूइयनिय) पूतिकनिम्ब (करंज) करन (सुण्हा) लक्षणा (तह) तथा (सीसवा) शिशपा-सीसम (असणे) असन (पुंनाग) पुंनाग (नागरुक्खे) नागवृक्ष ... - शहाथ-(से कि त रुक्खा) वृक्ष मा प्रा२ना छ ? (रुक्खा) वृक्ष " (दुविहा) मे ४२न(पण्णत्ता) ४ छ (त जहा) ते 20 मारे (एगट्ठिया. य) मे४ मी पण मन (बहुवीयगाय) मई माने व (से कि तं एग"ट्रिया) मे भी gan प्र४२ना छ (अणेग विहा) मने अनी (पण्णत्ता) ४ो छ (तं जहा) तेसो २४॥२ (णि व) सीमा (अंब) मामा । (अंबु) any (कोसंभ) । (साल) सादर (अंकुल्ल) अमरीट (पील) पीj (सेल्लूय) शेतु (सल्इ) ससी (मोयड) भायी (मालुय) मायु४ (वउय) मस (पलास) -५८०२ (कर जे) ४२०४ (पुत्तंजीवय) पुत्र (अरिद) महि। (विहेलाए) ५। (हरिडए य) १२७ (भिल्लाए) मिसा (उ वेभरिया) अभ्मे म२ि४ (खीरिणी) क्षा२णी (बोद्धव्वे) ngn (धायइ) धातही (पियाले) प्रियास (पूइयनि ब) पूतिशानिय (कर ज) ४२४ (सुव्हा) HE] (तह) तथा (सीसवा) शिश५-सीसम (असणे) मसन (पु नाग) धुन्ना (नागरुक्खे) न वृक्ष (सीव
SR No.009338
Book TitlePragnapanasutram Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1974
Total Pages975
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size63 MB
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