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जीवामिगमe
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प्रथम पद विगतिर्देः सहस्राणि ज्ञतानि तथा-' -'मझिमियाए परिसाए' माध्य मिकायां द्वितीयस्यां चष्टाभिधानायां पर्षदि 'चउवीसं देवदन्मा पन्नता' चतुविशति देवसहस्राणि महानि, तथा - 'बाहिरिया परिसाए' बायां तृतीयस् जाताना पदवीसं देवसहरूमा पन्नता' अष्टाविंशति देवदत्राणि प्राप्तानि - वथितानि, व्या-ले: वैरोचनेन्द्रस्य 'अतिरिए परिसाए' आभ्यन्तरिकायां मयमा पर्षद समिताभिधानम्, 'हांचा विण' पञ्चमानि - सार्द्धानि चापि देवीशतानि ज्ञानि, 'बिसि परिताप' मध्यमिका पदि 'तारि देविया पत्ता' चन्वारि देवीगतानि ज्ञानि, 'बहरियाए परिसाएका देविराम पण्णत्ता' वाद्यायां पदि अर्द्धचतुर्थानि देवाज्ञप्तःनीति | 'चलिरस 'ठईए पुच्छा' बलेः खच्च मदन्त ! वैराचनेन्द्रश्य वैरोचनराजस्य स्थित पृच्छा मनः कियत्पर्यन्तं प्रश्नस्तत्राह - 'जात्र वाहिरियाए परिसाए देवणं केव्ड कल टिपण्णा' इति पर्यन्तम्, यथा-अभ्य तर परिषदा में बीस हजार देव कहे गये हैं 'मज्झिमनाए परिसाए चउवीसं देवसरारुला पण्णत्ता' मध्यमा परिषदा में चौबीस हजार देव कहे गये हैं 'बाहिरिया परिसाए अठ्ठावीसं देवमहस्सा पण्णत्सा' बाह्यपरिषदा में अठाईस २८००० हजार देव हे गधे हैं तथा-'अभितरियाए परिमाए अद्धपत्रमा देविनिया पण्णत्ता संझिमियाए परिसाए चत्तारि देविनिया पण्णा' हिरेवर परिसाए अद्धा देविसया पण्णत्ता' वैरोचनेन्द्र वैरोचनरावलि की आभार परिषदा में साढ़े चार सौ ४५०) देवियां मा परिपक्ष में चान्स ४०० देवियां और बाह्य परिषदा में साढे तीन देवियां कही गई हैं 'बलिस्ल ठिईए पुच्छा जाय बाहिरियाए परिसाए देवी के काल लिई पत्ता' यहां पलिइन्द्र की तीनों सभा अतीन्द्रनी आभ्यन्तर परिषद्यामां वीस इन्नर हेवा उद्या छे. 'मझिमियाए परिसाए चवीस देवहस्सा पण्णत्ता' मध्यमा परिषद्यामां थेोवीस इतर देवा ह्या छे. 'बाहिरियाए परिमाए अट्ठावीस देवमहस्सा पण्णत्ता' महा परिषदाभां અઠયાવીસ હજાર ૨૮૦૦૦ દેવા કહ્યા છે. તથા 'अभितरियाए परिसाए भद्धपंचमा देविसया पण्णत्ता बाहिरियार परिसाए अद्भुट्टा देविसया पण्णत्ता वैशयनेन्द्र વૈરાચનરાજ મલિની આભ્યન્તર પરિષદામા ૪૫૦ સાડ ચારસે દૈવિયેા કહી છે. મધ્યમ પરિષદામાં ૪૦૦ ચારસા દૈવિયે। કહી છે. અને બાહ્ય પરિષદામાં ૩૫૦ સાડા ત્રણ મે દેવગે કહેવામાં આવેલ છે.
'बलिरस ठिईए पुच्छा नाव वहिरियाए परिसाए देवण केवईय काल ठिई पण्णत्ता, या प्रश्न मसीन्द्रनी ये सलाना द्वेष हेवियानी स्थितिना संभ