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________________ ७२६ जीवामिगमा असुररन्नो अभितर परिसाए कइ देवसाहस्सीओ पन्नत्ताओ? सज्झिम परिसाए कइ देवलाहस्सीओ पन्नत्ताओ? वाहिरपरिसाए कह देवलाहस्सीओ पन्नत्ताओ? गोयमा! चमरस्लणं असु. रिंदस्स असुररलो अभितरियाए परिसाए चउवीसं देवसाहस्तीओ पन्नत्ताओ, मज्झिमियाए परिसाए अट्ठावीसं देवसाहसीओ पन्नत्ताओ, बाहिरियाए परिसाए वत्तीस देवसाहस्तीओ पन्नत्ताओ! चमरस्त णं भंते ! असुरिंदस्स असुररण्णो अभितरियाए परिसाए कइ देबिलया पन्नत्ता? मज्झिमियाए परिसाए कइ देविसया पण्णता ? बाहिरियाए परिसाए कइ देविसया पन्नत्ता ? गोयमा ! चमरस्ल णं असुरिंदस्त असुररन्नो अभितरियाए परिस्साए अद्धता देविसया पन्नत्ता, मज्झिमियाए परिसाए तिन्नि देविसया पन्नत्ता, वाहिरियाए अड्डाइजा देविसया पन्नत्ता । चमरस णं भंते! असुरिंदस्स असुरश्न्नो अभितरियाए परिसाए देवाणं केवइयं कालं ठिई पन्नत्ता ? मज्झिमियाए परिसाए देवाणं केवइयं कालं ठिई पन्नत्ता वाहिरियाए परिसाए देवाणं केवइयं कालं ठिई पन्नता, अभितरियाए परिसाए देवीणं केवइयं कालं ठिई पन्नत्ता, मज्झिमियाए परिसाए देवीणं केवइयं कालं ठिई पन्नत्ता, बाहिरियाए परिसाए देवीणं केवइयं कालं ठिई पन्नत्ता ? गोयला! चमरस्त णं असुरिंदस्स असुररन्नो अभितरियाए परिसाए देवाणं अड्डाइजाई पलिओवमाई ठिई पन्नत्ता, अज्झिमियाए परिसाए देवाणं दो पलिओवमाई ठिई पन्नत्ता, बाहिरियाए परिसाए देवाणं दिवड्डे पलिओवनाई ठिई पन्नत्ता, अभितरियाए परिलाए देवीणं दिवट्ठे पलिओवमं ठिई पन्नत्ता, मज्झिमियाए परिसाए देवीणं पलिओनं ठिई पन्नत्ता, बाहिरियाए परिसाए देवीणं अद्धपलिओवमं ठिई पन्नत्ता । से केणटेणं भते । एवं
SR No.009336
Book TitleJivajivabhigamsutra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1973
Total Pages924
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_jivajivabhigam
File Size62 MB
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