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- जीवामिगमस्से प्रमुखशतसहस्राणि प्रज्ञप्तानीति प्रश्ना, भगवानाइ-गोयमा' इत्यादि, 'गोयमा' हे गौतम ! 'सत्तनातिकुलकोडी जोणीपमुहसयसहस्सा भवंतीति समक्खाया' सप्तजाति कुळकोटियोनि प्रमुखशतसहस्राणि भवन्तीति समाख्यातानि ॥०२६॥ ___हजातिकुलकोटयो योनिजातिया स्ततो भिन्नजातियाभिधानप्रसङ्गतो गन्धाङ्गानि मिन्नजातियत्वात् मरूपयति-'कइ णं भते' इत्यादि,
मूकम्-कई णं भंते ! गंधा पन्नत्ता ? कइणं भंते! गंधसया पन्नत्ता ? गोयमा ! सत्तगंधा पन्नत्ता सत्तगंधसया पन्नत्ता। कइणं भंते! पुप्फ जाइ कुलकोडी जोणीपमुहसयसहस्सा पन्नत्ता? गोयमा ! सोलस पुप्फजाती कुलकोडी जोणीपमुहसयसहस्सा पन्नता तं जहा-चत्तारि जलयराणं चत्तारि महारुक्खियाणं चत्तारि महागुम्मियाणं। कइ णं भंते! वल्लीओ, कइ वल्लिसया पन्नत्ता ? गोयमा! चत्तारि वल्लीओ, चत्तारि वल्लीलया पन्नत्ता। कइ णं भंते ! लताओ, कइ लयासया पन्नत्ता ? गोयमा ! अट्ठलयाओ, अट्रलयासया पन्नत्ता । कइ ण भंते ! हरियकाया हरियकायसया पन्नत्ता ? गोयमा! तओ हरियकाया तओ हरियकायसया पन्नत्ता, फलसहस्सं च बिंटबद्धाणं फलसहस्तं च णालवद्धाणं ते सव्वे वि हरियकायमेव समोयरंति, ले एवं समणुगल्लभाणा, एवं समणुगाहिज्जमाणा न्द्रिय जीवों की आठ लाख कुल कोटियां हैं। 'बेइंदिया णं भंते ! का जाह०पुच्छा' हे भदन्त !दो इन्द्रिय जीवों की कितनी लाख कुलकोटियाँ हैं। 'गोधमा । सत्त जाति कुलकोडोजोणी पमुहसयसहस्सा' हे गौतम! दो हन्द्रिय जीवों की सात लाख कुलकोटी हैं 'इति मक्खाया' ऐसा तीर्थकरों ने कहा है ॥सू० २६॥ 'वेइंदियाणं भते ! कइजाइ. पुच्छा भगवन् मेद्रियावामा तीर्थयानि४ .७वानी रोटी ४८मा स ही छ ? उत्तरमा प्रमुश्री छे , 'गोयमा ! सत्तजाति कुलकोडी जाणीपमुहसयसहस्सा है गौतम ! मद्रियावासवानी सात anटी छ. 'इति समक्खाया' मा प्रभारी तीर्थ शो छ । सू. २६ ।