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भोपातिक एगच्चाओ अपडिविरया, एगञ्चाओ करणकारावणाओ पडिविरया । जावजीवाए, एगच्चाओ अपडिविरया, एगच्चाओ पयणपयावणाओ पडिविरया जावजीवाए, एगच्चाओ पयणपयावणाओं अपडिविरया, एगच्चाओ कोहण-पिट्टण-तज्जण-तालण-वह
विरता 'एगचाओ करणकारापणाभी' एकरमाकरणकारणात् स्वयमनुष्टान - करण, प्रेरणया परहस्तात्कारणम् , तयो समाहार , तस्मात् 'पडिपिरया' प्रतिविरता, 'जा ज्जीवाए ' यावजीवम्, 'एगचामो अपडिपिरया' फरमादप्रतिविरता =राज्ञामाजादिमि फारणे । 'एगचाओ पयणपयारणाओ पडिपिरया जारनीवार' एकरमापचनपाचनात्-पचन स्वहस्तापाककरण, पाचनः परहारेण, तस्मात्प्रतिविरता यावनीव, एगचामा पयणपयावणाभो अपडिविरया' एकस्मात् पचनपाचनादप्रतिविरता 'एगचाओ कोट्टणपिट्टण-तज्जण-तालण-वह-बध-परिफिलेसाओ' एकस्मारकुट्टन-पिट्टन-तर्जन-ताडन
विरया जावज्जीवाए) ऐसे ही वे स्थूल आरभ-समारंभ से ही जीवनपर्यंत विरक्त रहत हैं, सूक्ष्म आरभसमारभ से नहीं। (एगचाओ करणकारावणाश्रो पडिविरमा) कोई ऐसे है जो केवल स्वयं करने से एव दूसरों से कराने से जीवनपर्यन्त विरत रहते हैं। (एगचाओ अपडिविरया) कोई ऐसे है जो राजाकी आजा-आदि के कारण इनसे प्रतिविरत नहीं हैं, (एगचाओ पयण-पयावणाओ पडिविरया जावजीवाए) कोई २ ऐसे हैं जो पचन-पाचन क्रिया से जीवन पर्यंत विरत है। (एगचाजो पयणपयारणाओ अपाडविरया) कोई २ ऐसे हैं जो इन पचन-पाचनादि कियाओं से विरत नहीं है । (एगचाओं
समारभाओ पडिविरया जावजीवाए) तम ती स्थूल मारल-सभार लथा પણુ જીવનપર્યન્ત વિરક્ત રહે છે, સૂક્ષમ આરભ-સમાર ભથી વિરક્ત નથી
हता (एगचाओ करणफारायणाभो पडिविरया) मेवा छ । ४२वा४साथी पनपत विरताय छ (एगच्चाओ अपडिविरमा) सेवा छ ? रानी माज्ञा माहिना ४ारणे तेनाथी प्रतिविरत हातानथी, (एगचाओ पयणपयावणाओ पडिविरया जावजीनाए)
छ २पयन-पायन जियाथी नयंत विरत छ (एगच्चाओ पयणपयारणाओ अपडिविरया) अर्थ કિઈ એવા છે કે જે આ પચન-પાચન આદિ ક્રિયાઓથી વિરત નથી (एगच्चाओ कोट्टण-पिट्टण-तजण-तालण-व-ध-परिकिलेसाओ पडिविरया