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भोरगतिको
५२,सगडवूह ५३, जुद्धं ५४, निजुद्धं ५५, जुद्धाइजुद्धं ५६, मुट्टि चूह ' प्रतिव्यूहम्-व्यूहप्रतिपक्षिभूत ब्यूह-सैन्यरचनाविशेषम् ५०, 'चकवड' चक्रव्यूहम्स सैन्यस्य चक्राकाररचनाविशेपम् ५१, 'गल्यह' गरुडन्यूह-गरुटारतिसेनानिवपरिज्ञानम् ५२, 'सगडयूह' शकटव्यूह-कटयतिसन्यरचनम् ५३, 'जुद्ध' युद् ममामम् , 'जुद्ध' इत्यन ज्ञाता-ममवायागोतस्य 'अद्विजुद्ध' इयस्य, तथा-समनायाङ्गोतस्य 'दडजुद्ध' इत्यस्य, तथा जम्बूद्वीपप्रजन्तिकथितस्य 'दिद्विजुद्ध' इत्यभ्य, तथा राजप्राय सूत्रोक्तस्य 'असिजुद्ध' इत्यस्य च समावेश ५४, 'निजुद्ध' नियुद्ध मल्लयुद्धम् ५५, 'जुद्धाइजुद्ध' युद्धातियुद्रम् खड्गादिप्रक्षेपपूर्वक महायुद्रम् ५६, 'मुहिजुद्ध' मुष्टियुद्रम्, योधयो परस्पर मुष्ट्या हननम् ५७, 'याहुजुद्ध' याहुयुदम् ५८, 'लयाजुद्धं ' लतायुद्ध गय रहस्सगय सभासचार" इस पाठ का समावेश हुआ है । (४९ वूह) शकट आदि के आकार में सैन्य स्थापित करने की, (५० पडिवूह) व्यूह के प्रतिपक्षी व्यूह को रचना करने की, (५१ चकवूह) चक्रव्यूह की सैन्य को चकाकर रचने की, (५२ गालब्बूह) गरुडव्यूह की-गरुड़ की आकृति के समान सैन्य को रचने की, (५३ सगडवूह) कट की आकृति के समान सैन्य को रचने की, (५४जुद्ध) सग्राम करने की, यहाँ पर जाता, समवायाग मे कथित (अद्विजुद्धं) अस्थियुद् का, (दडजुद्ध) दंडयुद्ध का, तथा जबूद्वीपः प्रज्ञप्ति में प्रतिपादित (दिद्विजुद्ध) दृष्टियुद्ध का और राजप्रश्नीयसूत्र में बताया गया (असिजुद्ध) तलवार से युद्ध करने का समावेश हुआ है, (५५ निजुई) मल्लयुद्ध की, (५६ जुद्धाइजुद्ध) खड्गादिप्रक्षेपपूर्वक महायुद्ध करने की, (५७ मुद्विजुद्ध) मुष्टियुद्ध करने की, (५८ बाहुजुद्ध) बाहु से युद्ध करने की, (५९ लयाजुद्ध) लतायुद्ध की, जिस प्रकार लता 'चदलसण' माना aaj "सूरचरिय राहचरियं गहचरिय' सूर्यनी न्यास, राईनी यास तेभर अहानी न्यास में अधाना समावेश 'चार' मा सभनया नये ४८ (पडिचार) ४४-मनिट ३० ति माह जिया. विशेषना विज्ञाननी, मही सभवाय सभा उस “सोभागकर, दोभागकर, विजागय, मतगयं, रहस्सगय, सभासपार" मा पनि समावेश यो छ, ૪૯ (જૂ) સકટ ગાડી આદિના આકારમાં સૈન્ય સ્થાપિત કરવાની, ५० (पडिवृह) व्यूडना प्रतिपक्षी न्यूडनी श्यना ४२वानी, ५१ (चक्बूह) A8न्यूनी-सैन्यने ५४४२ स्थपानी, ५२ (गरुलाही न्यूडनी-नी કાતિના જેવી રિન્યરચના કરવાની, પ૩ (9) શકટની આકૃતિ ના समान भैन्य स्थपानी, ५४ (जुद्ध) सयाम ४२०गनी, मडी 'ज्ञाता मने समवायाग' भी डेस (अद्विजुद्ध) अस्थियुद्धना, (दडजुद्ध) ६ उयुद्धन तथा जबुद्वीप