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औपणातिकात्रे जाव अडवीए उदगदायारस्स सव्वओ समंता मग्गणगवेसणं करित्तए-त्ति कह अण्णमण्णस्स अंतिए एयम पडिसुणेति, पडिसुणित्ता तीसे अगामियाए जाव अडवीए उदगदायारस्स सव्वओ समंता मग्गणगवेपणं करेंति, करित्ता उदगदायार'उदगदायारस्स सबओ समता मग्गणगवेसण करित्तएत्ति कटु' उदकदातु सर्वत समन्तात् मार्गणगवेषण फर्तुम् इति कृत्वा, 'अण्णमण्णस्स अंतिए एयमट्ठ पडिमुणेति' अन्योऽन्यस्य अन्तिके एतमर्थ प्रतिशृण्वन्ति स्वीकुर्वन्ति, 'पडिमुणित्ता' प्रतिश्रुय 'तीसे अगामियाए जाव अडवीए उदगदायारस्स सव्वओ समता मग्गणगवेसणं करैति' तस्याम् अग्रामिकाया यावदटव्याम् उदकटातु सर्वत समन्ताद् मार्गणगवेषण कुर्वन्ति, 'करित्ता' कृत्वा, 'उदगदायारमलभमाणा' उदकदातारम् अलममाना , 'दोचपि दाता की मार्गगा एव गवेषणा करें, (त्ति कट अण्णमण्णस्स अतिए एयमदं पडिमुणति) इस प्रकारकी की गई सलाह सबने एकमत होकर मान ली। (पडिसुणित्ता तीसे अगामियाए जाव अडवीए उदगदायारस्स सव्वओ समता मग्गणगवेसण करेंति) पश्चात् उस सलाह के अनुसार वे सब उस अग्रामिक भटवी में सर्व प्रकार से चारों ओर पानी के देने वाले दाता की गवेषणा करने मे सलग्न हो गये । (करित्ता उदगदायारमलभमाणा दोचपि अण्णमण्ण सद्दावेंति सदावित्ता एवं वयासी) गवेषणा करते २ जब उन्हें कोई
, તમારા માટે એ જ એક કલ્યાણકારક માર્ગ છે કે આપણે આ અગ્રામિક તેમજ નિર્જન વનમાં સર્વ પ્રકારથી ચારે કેરે કઈ જલના દાતારની માગણી तभा ५ ४शये (त्ति कट्ट अण्णमण्णस्स अतिए एयमट्ठ पडिसुणेति) मा ४२. ४२सी ससा पयामे मत ने भानी सीधी पछी (पडि सुणित्ता तीसे अगामियाए जाव अडवीए उदगदायारस्स सव्वओ समता मग्गण गवसण करेंति) ते सखाइने मनुसरीने ते मा त समाभित मटणी (वन)मा સર્વ પ્રકારથી ચારે કોર પાણી દેવાવાળા દાતારની શોધ કરવામાં સ લગ્ન या गया (करित्ता उद्गदायारमलभमाणा दोच्चपि अण्णमण्ण सद्दावेंति सदापिता एव वयासी) ध' ४२ता ४२ता पर तमने न्यारे आई पछु पापीना